नई दिल्ली, 17 जून 2024। दिल्ली में लोग गर्मी के साथ साथ पानी की किल्लत से भी बेहाल हैं। सूरज का पारा जितना हाई है, पानी को लेकर सियासत का पारा भी उतना ही हाई है। एक ओर विपक्षी पार्टी बीजेपी तरह तरह से प्रदर्शन करके सत्ता रूढ़ दल को इसके लिए जिम्मेदार बता रही है वहीं दिल्ली और एमसीडी में सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी इसके पड़ोसी राज्यों पर पानी की कमी का दोष मढ रही है। पर लोगो की समस्या का हल किसी के पास नही है। आपको बता दें कि दिल्ली के पास पानी का खुद का कोई भी सोर्स नहीं है। इसी वजह से उसे पड़ोसी राज्यों के भरोसे पर रहना पड़ता है।
दिल्ली में इस समय पारा काफी हाई है। इसी वजह से पानी की मांग लगातार बढ़ती ही जा रही है और भूजल का स्तर भी काफी नीचे जा चुका है। इसके साथ ही दिल्ली के ट्यूबवेल और रेनी कुएं, आसपास की नदियां सूख गई हैं। इसके अलावा जल प्रदूषण भी एक बड़ी वजह है। नदियो, झीलों और दूसरे जल स्रोतों में बढ़ते प्रदूषण की वजह से उनका पीने लायक नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी में रोजाना 129 करोड़ गैलन पानी की जरूरत होती है और दिल्ली जल बोर्ड केवल 1000 एमजीडी पानी ही उत्पादन करता है।
इन सब वजहों से दिल्ली का जल संकट काफी तेजी से गंभीर रूप धारण करता नजर आ रहा है। इसके साथ ही पानी को लेकर सियासत भी अब अपने चरम पर पहुंच गई है। जहां आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार, हरियाणा की बीजेपी सरकार पर पानी न देने का आरोप लगा कर सियासत कर रही है, वहीं बीजेपी इस जल संकट को केजरीवाल सरकार की लापरवाही और जल बोर्ड के भ्र्ष्टाचार के कारण उत्पन्न हुई समस्या करार दे रही है। दिल्ली बीजेपी के नेताओं, सांसदों और विधायकों ने दिल्ली भर में आज 14 जगहों पर आप के खिलाफ मटका फोड़ विरोध प्रदर्शन किया।
जैसा कि हमने पहले ही बताया कि दिल्ली के पास पानी का खुद का कोई भी सोर्स नहीं है। इसी वजह से उसे पड़ोसी राज्यों के भरोसे पर रहना पड़ता है। डीजेबी के आंकड़ो के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को रोजाना 129 करोड़ गैलन पानी की जरूरत होती है और ज्यादातर पानी हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब से मिलता है। दिल्ली को हरियाणा से यमुना नदी से, पंजाब से रावी-ब्यास नदी के अलावा भाखड़ा-नांगल और उत्तर प्रदेश से गंगा नदी से पानी मिलता है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश से ऊपरी गंगा नहर के जरिए गंगा नदी से दिल्ली को 470 क्यूसेक (लगभग 254 एमजीडी) पानी मिल जाता है। हरियाणा से दिल्ली में प्रवेश करने वाले दो चैनल- कैरियर लाइन्ड चैनल और दिल्ली सब ब्रांच l यमुना और रावी-ब्यास नदियों से पानी की आपूर्ति करते हैं।
दिल्ली का जल संकट कोई आज की बात नहीं है। यह विवाद करीब 3 दशक पहले शुरू हुआ था। साल 1995 में दिल्ली के लोगों के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी मिलने के लिए एक पर्यावरणविद कमोडोर सुरेश्वर धारी सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था। उन्होंने कोर्ट में एक पीआईएल दायर की थी। सिन्हा ने इस याचिका में कहा कि यमुना नदी के पानी के प्रवाह को ठीक बनाने की मांग की थी।
आम आदमी की सरकार 10 साल पहले दिल्ली की सत्ता में और पिछली बार एनसीडी में इसी वादे के साथ जीतकर आई थी कि दिल्ली वालों को फ्री बिजली और फ्री पानी देगी। पर 10 साल बाद भी दिल्ली में पानी की समस्या का कोई स्थाई हल सरकार दे नही पाई। पानी की कमी से जूझ रहे लोग अरविन्द केजरीवाल से काफी गुस्सा हैं कि केजरीवाल सरकार अपना कोई वादा पूरा नहीं करके कभी केंद्र कभी दूसरे राज्यों पर दोष मढ कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेती है।
दिल्ली में पानी की सियासत तेज, लोग बेहाल, आरोप प्रत्यारोप दोनो तरफ पर समस्या का हल कहीं नहीं
RELATED ARTICLES