नई दिल्ली, 6 जुलाई 2024। केरल के कोझिकोड में दिमाग खाने वाले अमीबा ने एक 14 साल के बच्चे की जान ले ली। इसके बाद से दिल्ली एनसीआर में एलर्ट जारी किया गया है। दिल्ली हरियाणा के जलाशयों में भी इसका संक्रमण पाया गया है।
केरल के मरने वाले मृदुल नाम के इस लड़के को एक छोटे तालाब में नहाने गया बाद संक्रमण हुआ था। इस बीमारी को अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस नाम से जानते हैं जो नेगलेरिया फाउलेरी नामक अमीबा की वजह से होती है। जब पानी के जरिये यह अमीबा शरीर में पहुंचता है तो महज चार दिन के अंदर यह इंसान के नर्वस सिस्टम यानी दिमाग पर वार करना शुरू कर देता है।
केरल में मामला सामने आने के बाद दिल्ली एनसीआर भी एलर्ट पर है क्योंकि उत्तर भारत की मिट्टी में यह अमीबा पाया जाता है। एम्स की माने तो साल 2015 में पहली बार नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टरों ने यह पता लगाया कि उत्तर भारत की मिट्टी में कई तरह का अमीबा मौजूद है जिनमें से नेगलेरिया फाउलेरी है जो अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस बीमारी का कारण है। डॉक्टरों ने साल 2012 से 2013 के बीच हरियाणा के रोहतक और झज्जर के 107 जलाशयों की जांच में इसका पता लगाया। 107 पानी के नमूनों में से 43 नमूनों में अमीबा मिला।
दिल्ली एम्स के मुताबिक, पारंपरिक सूक्ष्म जीव विज्ञानी जांच में अक्सर इस बीमारी का पता नहीं चल पाता है। इसलिए पीसीआर के जरिए जल्द ही बीमारी की पहचान हो सकती है। इसे साबित करने के लिए दिल्ली एम्स ने देश का पहला अध्ययन अक्तूबर 2020 में प्रकाशित किया जिसमें 307 मरीज की पारंपरिक जांच में कोई भी इस बीमारी से संक्रमित नहीं मिला लेकिन पीसीआर जांच में तीन मरीज सामने आए।
दिल्ली एम्स के वरिष्ठ डॉ. शरत कुमार बताते है कि मिट्टी से होता हुआ यह नदी या तालाब में पहुंचता है जिसके संपर्क में, नहाने या फिर गोता लगाने से यह अमीबा नाक और मुंह के जरिये इन्सान के शरीर तक पहुंचता है। यह तंत्रिका के माध्यम से मस्तिष्क में चला जाता है जिससे मस्तिष्क के ऊतकों में गंभीर सूजन होती है फिर ये उत्तक नष्ट होने लगते हैं। यह बीमारी कोरोना की तरह एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलती। नेगलेरिया फाउलेरी एकल-कोशिका वाला जीव है। यह बहुत छोटा होता है इसलिए इसे सिर्फ माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि भले ही इंसान का शरीर नेगलेरिया फाउलेरी के प्रति संवेदनशील है, फिर भी यह अमीबा संक्रमण अत्यंत दुर्लभ होता है। कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र, नासिका अथवा साइनस की दीर्घकालिक समस्या, गर्म या फिर ताजा जल के संपर्क में आना जैसे कुछ कारक इसकी आशंका को बढ़ा सकते हैं।
अगर एशिया की बात करें तो अकेले सबसे ज्यादा मामले पाकिस्तान, भारत और थाईलैंड में मिले हैं।
दिल्ली एनसीआर में दिमाग खाने वाली अमीबा का एलर्ट, रेयर पर खतरनाक रोग
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