कठिन राह पनघट की।, जी हां, दिल्ली की नई मुख्यमंत्री Atishi की राह आसान नही होंगी। नवनियुक्त मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण करने के बाद असली चुनौतियां शुरू हो जाएंगी। दिल्ली विधानसभा के चुनाव इसकी वजह है। वैसे तो वह कई विभागों का काम कुशलतापूर्वक कर चुकी हैं और भाजपा के चालबाजियों को भी नाकाम करने से जूझ चुकी हैं पर अब विधानसभा चुनावों को देखते हुए उनके सामने जनता की समस्याओं के समाधान से लेकर पार्टी की छवि और विपक्ष का सामना करना प्रमुख चुनौतियां हैं। उन्हें अपनी कैबिनेट के साथ सरकार के अधूरे वादों और जन अपेक्षाओं को पूरा करना आवश्यक होगा। यह राह आसान नहीं होगी।
बदहाली अव्यवस्था Atishi ने क्या बोला
आम आदमी पार्टी पहले से ही भाजपा के निशाने पर है। ऐन केन प्रकारेण वह आम आदमी पार्टी को सत्ता से बेदखल करना चाहती है। भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए उप-राज्यपाल आजकल एक तरह से चुनावी दौरों पर हैं। वे दिल्ली के विभिन्न इलाकों में जाकर राजधानी की बदहाली अव्यवस्था को उजागर कर रहे हैं और इसके लिए आप सरकार को दोषी ठहराने के बयान दे रहे हैं। सोशल मीडिया के अपने एक्स हैंडल पर वे रोज आप सरकार को कसूरवार बता रहे हैं। वे अपने दौरों में भाजपा के नेता की तरह व्यवहार करते देखे जा रहे हैं। मानो वही दिल्ली में विपक्ष के नेता हैं।
उधर आम आदमी पार्टी पहले से ही शराब घोटाले जैसे कई आरोपों से जूझ रही है। पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मनीष सिसोदिया जेल जा चुके हैं और भ्रष्टाचार के आरोप में सत्येंद्र जैन भी तिहाड में रहे हैं। भ्रष्टाचार की सफाई के लिए लोकायुक्त नियुक्त करने के आंदोलन से निकल कर आई आप सरकार की स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्तता को भाजपा जनता के सामने जाकर भुनाने की कोशिश कर रही है। उसके नेताओं को भ्रष्ट साबित करना चाहती है।
हिंदू मतदाताओं को रिझाना
अमानुतुल्लाह जैसे पार्टी के कुछ विधायकों को भी घेरने की कोशिशें करती दिख चुकी हैं। बंगलादेसियों के मुद्दे पर भी वह आम आदमी को कठघरे में खडा करती आई है। चुनावों के वक्त भाजपा दिल्ली में भी मुस्लिमों के खिलाफ ध्रुवीकरण करने से बाज नहीं आएगी। कपिल मिश्रा जैसे कट्टर हिंदुत्ववादी नेताओं के माध्यम से वह हिंदुओं में अपनी पैठ जमाने की कोशिश करेगी। आम आदमी को भी अपने हिंदू मतदातओं को रिझाए रखने के लिए पापड बेलने पडेंगे। ऐसे में आप की नई मुख्यमंत्री आतिशी के सामने चुनौतियों का बडा पहाड हैं।
किसी भी चुनाव में जनता मुख्यमंत्री के कामों और उसके चेहरे पर वोट देती हैं। अब तक दस सालों से दिल्ली के मतदाता केजरीवाल के चेहरे पर वोट करते आए हैं पर इस बार आतिशी का चेहरा सामने होगा तो जनता उन्हें किस कदर लेती हैं यह अभी समय बताएगा।.
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