-विजय ठाकुर, दिल्ली दर्पण
‘हड़ताल’ एक ऐसा शब्द हैं जिसे सुन सरकारों के कान खड़े हो जाते हैं साथ ही आम पब्लिक को सबसे अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है . राजधानी दिल्ली में पिछले कई दिनों से “DTC कर्मचारी एकता यूनियन” के बैनर तले कई DTC डिपो में हड़ताले की गई , साथ ही कई डिपो में बसों का भी संचालन किया गया. हमने जब वजीरपुर डिपो पहुंच कर हड़ताल के बारे में जानना चहां तो वहां एक अलग ही प्रकार की तस्वीर सामने आयी जो कहीं ना कहीं DTC कर्मचारियों के एकता पर सवाल या निशान उठाते हैं. वजीरपुर डिपो में बसो का संचालन तो हो रहां था परंतु फर्जीवाड़े के तहत .
फर्जीवाड़े ऐसा जिसे सुन सरकारें भी हैरान हो जाएगी आपको बता दे वजीरपुर डिपो के पास स्थित बस स्टैंड पर खड़े कई यात्रियों ने ये आरोप लगायें की बस डिपो से निकालकर खाली बसों को सड़को पर घुमाया जा रहा है. या फ़िर उन्हें Depo से कहीं बाहर ले जाकर खड़ा कर दिया जाता है और ठीक 1 से 2 घंटे के बाद वापस डिपो में लाकर खड़ा कर दिया जाता है| जिससे यह दर्शाने का प्रयास किया जाता है की DTC की बसे सड़कों पर चल रही है परंतु वास्तविकता में यह महज़ अपनी ड्यूटी को निभाने की एक कला है जिससे कहीं ना कहीं लोगों को ठगा और परेशान भी किया जा रहा है।
बस स्टैंड पर मौजूद एक यात्री ने आरोप लगाते हुए कहां कि अगर DTC वालों को हड़ताल करनी ही है तो पूरी तरीके से हड़ताल क्यों नहीं करते ?वह लोग खाली बस सड़कों पर क्यों चला रहे हैं ? कई बस चालक यात्रियों को बिठाते भी हैं उनका टिकट भी काट देते हैं फिर 5-10 मिनट के बाद उनको आगे जाकर बिना किसी बस स्टैंड के उतार दिया जाता है यह कहकर की हड़ताल चल रही है, बस आगे नहीं जाएगी फिर उसी खाली बस को डिपो में लाकर खड़ा कर दिया जाता है । इन सब तस्वीरों को देखने के बाद एक ही बात जाहिर होती है की हड़ताल में भी घोटाला किया जा रहा है | हालांकि वहां पर उपस्थित लोगों ने डीटीसी कर्मचारियों की मांग को सही बताते हुए उनका सपोर्ट भी किया और वर्तमान सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप भी लगायें । लोगों ने कहां वर्तमान सरकार महज़ बोलने का काम करती है वास्तविक रूप में धरातल पर काम नहीं हो रहा है । कर्मचारियों को उनके समान वेतन का अधिकार मिलना चाहिए साथ ही उनको मेडिकल फैसिलिटी भी मिलनी चाहिए.
आंदोलन की शुरुआत कैसे हुई ?
आपको बता दें तत्कालीन दिल्ली परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने दिल्ली में ‘सखी बस डिपो’ का शुभारंभ किया था जहां पर सिर्फ महिलाओं के द्वारा बस का पूर्ण संचालन किया जा रहा था कंडक्टर भी महिलाएं थी और ड्राइवर भी महिलाएं थी। उनकी यह मांग थी कि हमें परमानेंट किया जाए साथ ही हमारे वेतन को लेकर समान नीति अपनाई जाएं . वास्तविक रूप में बस संचालकों की हड़ताल वहीं से प्रारंभ हो गई थी इसके बाद और डिपो भी उन महिलाओं के समर्थन में आए जिसे दिल्ली के कई क्षेत्र प्रभावित होने लगे .
“15 दिन सरकार के 16 वां हमारा“
बीती रात दिल्ली सरकार और डीसी कर्मचारीयों के बीच बातचीत हुई जिसमें मुख्यमंत्री आतिशी ने सभी कर्मचारियों को यह आश्वासन दिया की 15 दिन के अंदर उनके सभी मांगों को मान लिया जाएगां वह डीटीसी कर्मचारियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि 15 दिन सरकार के हैं 16 वां दिन हमारा होगा और हम इस बार पूरी सिटी स्ट्राइक करेंगे .
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