अंशु ठाकुर, दिल्ली दर्पण टीवी
मंगलवार को केंद्र सरकार ने लोकसभा एक देश एक चुनाव बिल पेश किया गया और सरकार ने इस बिल पर विचार – विमर्श के लिए इसे जेपीसी के पास भेजने का फैसला किया. लेकिन विपक्षी पार्टियों ने इस विधेयक को पेश किए जाने का विरोध किया. जहाँ एनडीए सरकार ने इसे चुनावी सुधार कि तरह पेश किया वहीँ विपक्षी ने संविधान कि मूल भावना और नागरिकों के वोट करने के अधिकार पर चोट और तानाशाही करार दिया.
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन लाल मेघवाल ने मंगलवार को सदन में बिल को पेश किया, जिसके बाद विपक्ष कि ओर से इसे लेकर विरोध करने लगे. संसद की नई इमारत में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक मशीन से वोटिंग हुई. इसके मद्देनज़र लोकसभा में टीएमसी , कांग्रेस , शिवसेना सहित तमाम दलों ने बाकायदा विह्प जारी की थी. जहाँ एक ओर से सरकार की ओर से सदन में सदन के उपनेता राजनाथ सिंह ओर गृहमंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला तो वहीँ दूसरी ओर विपक्ष की ओर से कांग्रेस के गौरव गोगोई ओर मणिकम टैगोर , टीएमएस के कल्याण बनर्जी व सौगात राय, एसपी के धर्मेंद्र यादव इसका विरोध करते दिखे.
‘वन नेशन , वन इलेक्शन’ का मतलब
‘वन नेशन , वन इलेक्शन’ का मतलब है कि एक समय पर पुरे देश भर में एक साथ विधानसभा ओर लोकसभा चुनाव करवाए जाए. आपको बता दे कि अभी तक देशभर में दोनों चुनाव अलग अलग समय पर करवाए जाते है. लेकिन अब मोदी सरकार इसे एक ही समय पर करवाने कि कोशिश कर रही है.
अगर इस बिल को संसद में मंजूरी मिल जाती है तो इसके पास होने के बाद बस एक समय पर ही चुनाव करवाए जाएंगे. इससे अलग अलग चरणों में होने वाले चुनावों पर खर्च होने वाले पैसे कि बचत होगी. और साथ ही मैनपावर का भी सही इस्तेमाल होगा.