Friday, January 10, 2025
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Homedelhi election 2025दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र

अंशु ठाकुर, दिल्ली दर्पण टीवी

दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चूका है और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिठ्ठी लिखी है. इस चिठ्ठी में अरविन्द केजरीवाल ने लिखा कि , ” मैं आपको ये पत्र आपका 10 साल पुराने किये गए वादे को याद दिलाने के लिए लिखा रहा हूँ .
मेरी दिल्ली कि जाट समाज से मुलाकात हुई और सभी जाट समाज ने केंद्र कि ओबीसी लिस्ट में दिल्ली के जाट समाज कि अनदेखी ज़ाहिर की. दिल्ली सरकार की एक ओबीसी लिस्ट है. इस लिस्ट में जाट समाज का नाम आता है. उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार की एक ओबीसी लिस्ट है उसमें दिल्ली का जाट समाज नहीं आता है. ऐसे में दिल्ली विश्वविद्यालय में जब जाट समाज के बच्चे एडमिशन के लिए जाते हैं तो वहां पर उन्हें रिजर्वेशन नहीं मिलता है.

अरविंद केजीरवाल ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर केंद्र से मांग की है कि दिल्ली के जाटों समेत सभी OBC जातियों को केंद्रीय OBC सूची में शामिल किया जाए. उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार पिछले 10 सालों से जाट समाज को झूठे वादे कर रही है. केजरीवाल ने याद दिलाया कि 2015 में केंद्र सरकार ने जाट नेताओं को बुलाकर उन्हें केंद्रीय OBC सूची में शामिल करने का आश्वासन दिया था. उन्होंने यह भी कहा कि 2019 में अमित शाह ने भी यही वादा किया था.

‘केंद्र सरकार कर रही पक्षपात’

अरविंद केजरीवाल ने पत्र में आगे लिखा कि सिर्फ जाट समाज ही नहीं रावत, रौनियार, राय तंवर, चारण व ओड, इन सभी जातियों को दिल्ली सरकार ने ओबीसी दर्जा दिया हुआ है, लेकिन केंद्र सरकार इन जातियों को दिल्ली में मौजूद अपने संस्थानों में ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं दे रही है. दिल्ली में केंद्र सरकार की सात यूनिवर्सिटी हैं. दिल्ली यूनिवर्सिटी के दर्जनों कॉलेज हैं. दिल्ली पुलिस, एनडीएमसी, डीडीए, एम्स, सफ़दरजंग, राम मनोहर लोहिया जैसे केंद्र सरकार के कई संस्थानों में नौकरियां हैं जिनमें केंद्र सरकार के नियम लागू होते हैं. ऐसे में केंद्र सरकार की इस वादाखिलाफी की वजह से दिल्ली के ओबीसी समाज के हज़ारों युवाओं के साथ अन्याय हो रहा है. दिल्ली में जाट समाज व ओबीसी की 5 अन्य जातियों के साथ केंद्र सरकार का ये पक्षपातपूर्ण रवैया इन जातियों के युवाओं को शिक्षा और रोज़गार के उचित अवसर हासिल नहीं होने दे रहा है.

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