नई दिल्ली, 26 मार्च 2025: आज दिल्ली की सड़कों पर एक अनोखा नजारा देखने को मिला जब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का काफिला अचानक रुक गया। हैदरपुर फ्लाईओवर पर 4-5 आवारा गायों के सामने आने से उनका काफिला ठहर गया और एक बड़ा हादसा होते-होते बचा। इस घटना के बाद मीडिया और सोशल मीडिया में यह खबर तेज़ी से वायरल रही है –इस विडिओ में नजर आ रहा है की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता तुरंत अपनी गाडी से उतारकर स्थिति का जायजा लिया और सड़क पर मौजूद अधिकायर्यों को इन गायों के लिए उचित आश्रय स्थल और गोशाला खोजने का सख्त निर्देश दिया।
रेखा गुप्ता दिल्ली की उन समस्याओं के लिए हमेशा सजग और सक्रीय रही है जो आम जनमानस के प्रभावित और परेशानी पैदा करती है। रेखा गुप्ता जान निगम पार्षद बनी तो अपने क्षेत्र शालीमार बाग़ में अक्सर आवारा पशुओं के खिलाफ अभियान चलाती नजर आती थे। यहाँ तक की शालीमार बाग़ में रेखा गुप्ता ने आवारा गायों की समस्या को इलाके का सबसे बड़ा मुद्दा बना दिया। रेखा गुप्ता ने उन गोपालों पर सख्ती की जो गाय को दूध निकलने के बाद उन्हें सडकों पर छोड़ देते थे। ये गायें सडकों पर कचरा कहती थी , सडकों पर वाहनों की टक्कर खाकर मारती थी या फिर लोगों को मारती थी। जैसे ही रेखा गुप्ता मुख्यमंत्री बनी उनके पुरानी वीडियो वायरल होने लगे। आप खुद देखिये ऐसा ही विडिओ जिसमें रेखा गुप्ता एक डेरी चलने वाले को समझती और धमकाती नजर आ रही है —
आवारा गायों के मुद्दे ने उन्हें विधानसभा चुनाव में विजयी बनाने में भी मदद की। अब जब वे मुख्यमंत्री बनी है तो अब भी रेखा गुप्ता के लिए यह एक बड़ा मुद्दा है। दिल्ली के बजट में रेखा गुप्ता गोशालाओं के लिए बहुत बड़ी राशि का प्रावधान किया है —क्या है वह प्रावधान यह बताने से पहले आपको बताते है कि दिल्ली में आवारा गायें कितनी बड़ी समस्या है :-
दिल्ली में आवारा गायें: कितनी बड़ी समस्या?

दिल्ली में आवारा पशुओं, खासकर गायों की समस्या लंबे समय से एक गंभीर मुद्दा बनी हुई है। शहरी इलाकों में सड़कों, चौराहों और फ्लाईओवर पर आवारा गायों का जमावड़ा न सिर्फ यातायात के लिए खतरा पैदा करता है, बल्कि दुर्घटनाओं का कारण भी बनता है। विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली में करीब 50,000 से अधिक आवारा मवेशी सड़कों पर घूमते हैं, जिनमें से ज्यादातर गायें हैं। ये पशु अक्सर कूड़े में भोजन तलाशते नजर आते हैं, जिससे स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बढ़ रही हैं।
किसानों और ग्रामीण इलाकों से आने वाली गायें, जो दूध देना बंद कर देती हैं, उन्हें अक्सर शहर में छोड़ दिया जाता है। इसके अलावा, अवैध डेयरियों का संचालन और गोशालाओं की कमी इस समस्या को और गंभीर बना रही है। हाल के वर्षों में सड़क हादसों में आवारा पशुओं की वजह से कई लोगों की जान भी जा चुकी है। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने कई बार इन पशुओं को पकड़कर गोशालाओं में भेजने की कोशिश की, लेकिन सीमित संसाधनों और जगह की कमी के चलते यह प्रयास नाकाफी साबित हुआ है।
आज दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता अपने निर्वाचन क्षेत्र शालीमार बाग़ कई स्थाओं पर उद्घटान करने पहुंचे —ताबड़तोड़ उद्घाटनों के बाद जब वे वापस लौट रही थी तो उनके काफिले के आगे आवारा गायों का काफिला आ गया —यह देखते ही रेखा गुप्ता का यह दर्द फिर से हरा हो गया और वे सड़क पर बहार निकलकर अधिकारियों को इस पर सख्त करवाई करने का आदेश दिया —
वी-ओ- ऐसा नहीं है की रेखा गुप्ता को इस समस्या के समाधान का रास्ता नहीं पता —-रेखा गुप्ता को इन आवारा गायों की सुरक्षा और सेवा भावना की भी फ़िक्र है और लोगों की सुरक्षा और समस्या का आभास भी है –यही वजह है की रेखा गुप्ता ने अपने पहले बजट में इस मुद्दे को बहुत प्राधमिकता देते हुए आवारा पशुओं और गोशालाओं के लिए भी ख़ास प्रावधान किये है —
क्या है वे प्रावधान , चलिए इस पर एक नजर डालतें है : —

दिल्ली सरकार के बजट 2025-2026 में आवारा पशुओं और गोशालाओं के लिए प्रावधान
दिल्ली सरकार ने अपने 2025-2026 बजट में आवारा पशुओं की समस्या से निपटने और गोशालाओं के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए हैं। बजट में इस मुद्दे को प्राथमिकता देते हुए निम्नलिखित कदमों की घोषणा की गई है:
- गोशालाओं के लिए फंडिंग: सरकार ने दिल्ली में 10 नई गौशालाओं के निर्माण और मौजूदा गोशालाओं के उन्नयन के लिए 150 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इन गोशालाओं में कम से कम 20,000 आवारा पशुओं को रखने की क्षमता होगी।
- आवारा पशु प्रबंधन योजना: सड़कों से आवारा पशुओं को हटाने के लिए एक विशेष अभियान चलाने हेतु 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके तहत पशुओं को पकड़ने, उनकी नसबंदी करने और गोशालाओं में स्थानांतरित करने की योजना है।
- बायोगैस और जैविक खाद उत्पादन: गोशालाओं में गोबर और मूत्र से बायोगैस और जैविक खाद बनाने के लिए 30 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। इससे न सिर्फ गोशालाएं आत्मनिर्भर बनेंगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान होगा।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP मॉडल): सरकार ने निजी संस्थाओं के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर आश्रय स्थल बनाने की योजना बनाई है, जिसके लिए 75 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। यह मॉडल गोशालाओं के रखरखाव और संचालन को सक्षम बनाएगा।
- जागरूकता और सहायता योजना: लोगों को आवारा पशुओं को गोशालाओं में देने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु 10 करोड़ रुपये की योजना शुरू की जाएगी, जिसमें पशुपालकों को प्रति पशु आर्थिक सहायता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की यह घटना दिल्ली में आवारा गायों की समस्या को लेकर एक नई बहस छेड़ सकती है। बजट में किए गए प्रावधान इस दिशा में एक सकारात्मक कदम हैं, लेकिन इनका असर तभी दिखेगा जब जमीनी स्तर पर काम तेजी से शुरू हो। दिल्लीवासियों को उम्मीद है कि उनकी सड़कें जल्द ही सुरक्षित और स्वच्छ होंगी, और इन आवारा पशुओं को भी सम्मानजनक जीवन मिलेगा।