अंशु ठाकुर, दिल्ली दर्पण टीवी
दिल्ली में लगातार बढ़ते अपराधों पर रोक लगाने के लिए दिल्ली पुलिस ने नई रणनीति तैयार की है. अब झुग्गी बस्तियों में अपराध पर नजर रखने के लिए ‘जेजे क्लस्टर समितियां’ गठित की गई हैं. इन समितियों का मकसद झुग्गियों में सक्रिय अपराधियों पर निगरानी रखना और वहां के निवासियों को अपराध की ओर जाने से रोकना है.
दरअसल, दिल्ली में सड़कों पर लूट, झपटमारी, चोरी और पॉकेटमारी जैसी घटनाएं आम हो चुकी हैं. आंकड़ों के मुताबिक इन अपराधों में झुग्गी बस्तियों के कई अपराधी शामिल होते हैं. इसी को देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने ‘जेजे क्लस्टर समितियों’ के गठन का आदेश दिया है. इन समितियों का कार्यक्षेत्र झुग्गी बस्तियों तक सीमित रहेगा. समिति के सदस्य नियमित रूप से बैठक कर लोगों को अपराध से दूर रहने के लिए प्रेरित करेंगे.
दिल्ली पुलिस के अनुसार झुग्गी बस्तियों में संगठित अपराध, अवैध शराब और ड्रग्स की तस्करी जैसे मामलों की संख्या ज्यादा होती हैं. इन समितियों के सदस्य पुलिस के ‘आंख और कान’ बनकर काम करेंगे और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत पुलिस को देंगे

दिल्ली पुलिस के लिए झुग्गी बस्तियों में अपराध रोकना एक बड़ी चुनौती है. ये इलाके घनी आबादी और संकरी गलियों के कारण पुलिस गश्त के लिए उपयुक्त नहीं होते. साथ ही सामाजिक संस्थाओं की कमी और पुलिस के प्रति अविश्वास के कारण बस्ती के लोग अपराधियों के बारे में जानकारी देने से बचते हैं.
आर्थिक तंगी और शिक्षा के अभाव में कई किशोर और युवा लड़के छोटी-मोटी आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं. हालांकि, किशोर न्याय नीतियां और पुनर्वास कार्यक्रम मौजूद हैं, लेकिन वे अभी भी पर्याप्त नहीं हैं. जेजे क्लस्टर समितियों के माध्यम से इन बच्चों और युवाओं को अपराध से दूर करने का प्रयास किया जाएगा.
जेजे क्लस्टर समितियों का नेतृत्व पुलिस अधिकारियों के हाथों में होगा. साथ ही स्थानीय प्रभावशाली व्यक्तियों को भी इसमें जोड़ा जाएगा. एडिशनल एसएचओ समिति के अध्यक्ष होंगे. वह डिवीजन अफसर संरक्षक के रूप में काम करेंगे. बीट अफसर, यातायात पुलिस अधिकारी, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि, स्थानीय प्रधान, आरडब्ल्यूए पदाधिकारी, शिक्षक और छोटे व्यवसायी सदस्य होंगे. प्रत्येक समिति में गैर-सरकारी सदस्यों की संख्या 12 से अधिक नहीं होगी.
शुरुआत में प्रत्येक जिले में दो झुग्गी क्लस्टरों को चुना जाएगा. तीन महीने की समीक्षा के बाद अन्य स्थानों पर भी इसी मॉडल को लागू किया जाएगा. समिति जरूरत के अनुसार एमसीडी, डीडीए, दिल्ली जल बोर्ड जैसी अन्य एजेंसियों को भी विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में जोड़ सकती है.