– दिल्ली दर्पण
ब्यूरो दिल्ली में बीजेपी की बंपर जीत के बाद रेखा सरकार और उसके ज्यादातर विधायक दिल्ली के लोगों का दिल जीतने की जंग में लग गए है। लेकिन दिल्ली के शकूर बस्ती विधानसभा क्षेत्र के विधायक करनैल सिंह को लेकर स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच एक नारा “जय श्रीराम ” सुना और कहा जा रहा है। क्षेत्र में विकास कार्यों की चर्चा आते ही व्यंग्यात्मक लहजे में कहते है ” जय श्रीराम “। शकूर बस्ती विधानसभा के स्थानीय नेता और कार्यकर्ताओं को उम्मीद नहीं है की उनके क्षेत्र में विकास कार्यों को गति मिल सकेगी। हालांकि करनैल सिंह ने शकूर बस्ती विधान सभा को दिल्ली की ही नहीं देश की सबसे विकसित और सुंदर विधानसभा बनाने का दावा किया था। लेकिन अब से निराश हो रहे है।
शकूर बस्ती के लोगों का निराश होना अकारण नहीं है। बात चाहे उनकी काबिलियत की हो या फिर नियत की लोग विकास कार्यों का जिक्र आते ही कहते है ” जय श्रीराम “। यानी विकास कार्यों की उम्मीद ख़त्म। सवाल है की स्थानीय लोग और कार्यकर्ता करनैल सिंह से इतनी जल्दी मायूस , निराश और नाखुश क्यों हो गए है ?

दरअसल शकूर बस्ती के स्थानीय कार्यकर्ता और नेताओं को करनैल सिंह कभी हज़म नहीं हुए। फिर भी संघठन और मोदी के नाम पर वे खड़े हो गए लेकिन अब उनका दर्द है कि करनैल सिंह में ना विकास कार्य करने की काबिलयत है और ना ही नियत। उनका दर्द यह नहीं है की पार्टी ने किसी दलित या ओबीसी को पैराशूट उम्मीदवार लाद दिया। उनका सवाल यह भी नहीं है की केवल 10 वीं क्लास पास विधायक क्षेत्र में क्या विकास कार्य कर पाएंगे। उनका दर्द यह है की चुनाव जीतने के बाद करनैल सिंह कार्यकर्ताओं से ठीक से व्यवहार नहीं करते। स्थानीय सांसद प्रवीण खंडेलवाल से उनकी बनती नहीं ,पार्षदों को कुछ समझते नहीं , कार्यकर्ताओं से मिलते नहीं ,ऐसे में क्षेत्र में विकास कार्य कैसे होंगे ? जगह जगह हो रहे स्वागत समारोह से लेकर अलग अलग मीटिंग और बैठकों क्षेत्र के विकास कार्यों की चर्चा काम , जय श्रीराम के नारे के साथ सनातन पर ज्यादा बोलते है
चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान क्षेत्र के गणमान्य और प्रमुख लोगों को यह कहकर प्रभाव में लेते थे की उन्हें दिल्ली में सनातन की सरकार बनाने के लिए भेजा गया है। वे दावा करते थे संघ और प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाने के लिए भेजा है। उन्होंने वैश्य समाज के कई बड़े-बड़े लोगों और उद्योगपतियों को अपने नागपुर यानी संघ मुख्यालय से संघ के सीधे सम्पर्क होने का हवाला देकर सब्ज बाग़ भी दिखाए। किसी को सांसद बनाने का सपना तो किसी को राज्यसभा भेजने का सपना दिखाया । लेकिन चुनाव जीतने के बाद वे मुख्यमंत्री तो दूर मंत्री भी नहीं बनाए गए। “उनके के करीबी ने नाम ना उजागर करने की शर्त पर कहा ” में निराश नहीं हूँ ,यहाँ केवल विधायक बनाने नहीं आया हूँ ,सब ठीक हो जाएगा। लेकिन हकीकत यह है की करनैल सिंह खुद भी निराश हो गए है। दिल्ली के सबसे अमीर विधायक का मन अब विधानसभा में नहीं लग रहा है। लिहाज़ा उन्होंने तय किया है की कार्यालय खोलकर पेड कर्मचारी विधानसभा का काम देंखेंगे। कुछ कार्यकर्ताओं को प्रमुख लोगों को निगम पार्षद का भी सपना दिखा रहे है। लेकिन दिल्ली की जनता की तरह शकूरबस्ती विधानसभा के लोगों ने विकास कार्यों की जो उम्मीद जनता कर रही है ,करनैल सिंह की नियत ,काबिलियत उन पर प्रश्नचिन्ह लगा रही है।