- अंशु ठाकुर, दिल्ली दर्पण टीवी
आपने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो तो ज़रूर देखा होगा. जिसमे प्रिंसिपल क्लासरूम की दीवारों पर गोबर लेप्टे हुए दिखाई दे रही है. आपको बता दे कि प्रिंसिपल प्रत्युषा ने इस वीडियो को खुद टीचर्स के ग्रुप में भेजा और साथ ही ये भी लिखा कि सी ब्लॉक में गरमी की शिकायत के लिए देसी उपाए किये जा रहे है.
टीचर्स, स्टूडेंट्स और स्टाफ ने प्रिंसिपल के इस फैसले पर हैरानी भी जताई. कई टीचर्स का तो यह भी कहना है कि प्रिंसिपल को इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देना चाहिए, स्टूडेंट्स को कूलर्स की ज़रूरत है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी के लक्ष्मीबाई कॉलेज में प्रिंसिपल के एक फैसले ने नए विवाद को जन्म दे दिया है. क्लासरूम की दीवारों पर गाय का गोबर लगाने को रिसर्च का हिस्सा बता कर प्रिंसिपल प्रत्युषा वत्सला की मुश्किलें अब बढ़ती नज़र आ रही है.
प्रिंसिपल का यह एक्सपेरिमेंट अब कंट्रोवर्सी में बदल चूका है. स्टूडेंट्स से इस पर सवाल उठाये , hygine कंसर्न रेज किया और और बात यूनिवर्सिटी में कंप्लेंट तक पाउच गयी.
सोशल मीडिया पर इस डिसिशन को लेकर लोगों ने एडमिनिस्ट्रेशन को ट्रोल करना शुरू कर दिया है. कही इसे अन्धविश्वास कहा गया, कही इसे तर्कहीन अभ्यास का नाम दिया गया.
कॉलेज के कुछ स्टूडेंट्स ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया, उनका कहना है कि पढाई की जगह पर इस तरह की इस तरह की चीज़े उनके लिए बहुत ज़्यादा अजीब है.
वहीँ डीयू के वॉइस चांसलर प्रोफेसर योगेश सिंह भी यह वीडियो देखकर हैरान है. उनका कहना है कि क्लासरूम में पहले सही संख्या में पंखे , वेंटिलेशन कि व्यवस्था होनी चाहिए. अगर गोबर लीपने से कमरे ठन्डे होने का कोई प्रूफ या स्टडी प्रिंसिपल के पास है , तो पहले अपने घर पर ये एक्सपेरिमेंट करना चाहिए.

तो दिल्ली यूनिवर्सिटी में हुए इस एक्सपेरिमेंट ने कई सवाल खड़े कर दिए है. क्या ये धार्मिक परंपरा का पालन था या hygine के बेसिक प्रिंसिपल का उल्लंघन ? यह फैसला अब समाज और यूनिवर्सिटी दोनों को लेना होगा.