अंशु ठाकुर, दिल्ली दर्पण टीवी
मानव बलि जैसे खौफनाक अपराध में दोषी करार और अदालत से मृत्युदंड प्राप्त फरार अपराधी जितेंद्र सिंह को आखिरकार दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. साल 2008 में अपने ही पिता की निर्मम हत्या कर सिर मंदिर में चढ़ाने वाले इस हत्यारे को पुलिस ने लंबे समय से जारी खोजबीन के बाद पकड़ने में सफलता पाई है.
13 मार्च 2008 की रात नबी करीम इलाके में ऐसा अपराध हुआ जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया. जितेंद्र सिंह नामक युवक ने तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास के चलते अपने पिता कर्तार सिंह की बेरहमी से हत्या कर दी थी. उसने न केवल पिता का सिर धड़ से अलग किया, बल्कि शरीर के कई अंग भी काट डाले. सिर को एक मंदिर में चढ़ाया गया और शरीर को मां दुर्गा की मूर्ति के सामने रख दिया गया. इस जघन्य हत्याकांड में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की और जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. 10 जनवरी 2011 को तीस हजारी कोर्ट ने उसे मृत्युदंड की सजा सुनाई.

जुलाई 2024 में जेल प्रशासन ने उसे दो हफ्ते की फरलो पर रिहा किया था ताकि वह अपने घर जाकर कुछ पारिवारिक कार्य निपटा सके. लेकिन 16 अगस्त 2024 को जब उसे वापस मांडोली जेल में आत्मसमर्पण करना था, वह फरार हो गया. तभी से वह पुलिस को चकमा देकर लापता था.
पीपी संगतरशन, थाना पहाड़गंज की टीम को विशेष सूचना मिली कि आरोपी पंजाब के अमृतसर में छिपा हो सकता है. एसआई बिजेंद्र सिंह की अगुवाई में गठित टीम ने पुराने दस्तावेज, जमानतकर्ता की जानकारी जुटाई. जब कोई ठोस सुराग नहीं मिला तो टीम ने तकनीकी निगरानी और जमीनी स्तर पर खुफिया सूचना जुटाने का काम शुरू किया. इसके बाद आरोपी की लोकेशन दिल्ली के चेल्म्सफोर्ड रोड इलाके के पास ट्रेस की गई. 11 अप्रैल 2025 की सुबह टीम ने एक फुटपाथ पर सो रहे एक व्यक्ति को हिरासत में लिया, जो पूरी तरह बदले हुए हुलिए में था. पूछताछ के दौरान उसने अपनी पहचान जितेंद्र सिंह के रूप में बताई और बताया कि वह कानून से बच रहा था.