अंशु ठाकुर, दिल्ली दर्पण टीवी
वक्फ कानून के खिलाफ मुस्लिमों की सबसे बड़ी संस्था जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की सोमवार को फिर अहम बैठक हुई है. मौलाना महमूद मदनी की अध्यक्षता में आयोजित मीटिंग में आगे की रणनीति पर मंथन किया गया और सरकार तक संदेश पहुंचाने पर भी चर्चा की हुई है.
बैठक में सामाजिक और सामुदायिक सद्भाव बनाने के साथ-साथ सांकेतिक विरोध की रणनीति पर भी मंथन हुआ. इससे पहले रविवार की भी जमीयत की वर्किंग कमेटी की बैठक बैठक हुई थी. जमीयत के प्रमुख महमूद मदनी ने कहा था कि हम हर कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं. वक्फ का विरोध करते रहेंगे. जमीयत ने समर्थकों से देशभर में वक्फ कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अपील की है.
सोमवार को फिर जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की वक्फ कानून को लेकर महत्वपूर्ण बैठक हुई. समाज ने प्रबुद्धजीवी वर्ग ने भी मीटिंग में हिस्सा लिया. इसमें वकील भी शामिल हुए. बैठक में वक्फ संशोधन कानून का विरोध करने के लिए कुछ प्रस्ताव पारित किए जाएंगे. शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन की रणनीति तैयार की. सरकार पर भी दबाव बनाया जाने पर मंथन किया गया.
आपको बताते चलें कि वक्फ संशोधन कानून पर एक तरफ सड़कों पर प्रदर्शन हो रहा है तो दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती दी गई है. पश्चिम बंगाल में हिंसा की घटनाएं तक सामने आई हैं. ऐसे में मुस्लिम समाज की सबसे बड़ी संस्था जमीयत-उलेमा-हिंद के पदाधिकारी दो दिन से वक्फ के विरोध को लेकर मंथन कर रहे है. मौलाना महमूद मदनी की अध्यक्षता में सोमवार को यह बड़ी बैठक बुलाई गई.

बैठक में क्या-क्या मंथन हुआ?
- जमीयत की बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि पुराने कानून के मुकाबले नए वक्फ कानून में ऐसे कौन-कौन से प्रावधान हैं, जिनको लेकर मुस्लिम समाज को दिक्कत हो सकती है. वक्फ बाई यूजर के मसले पर चर्चा हुई.
- भारतीय पुरातत्व विभाग के तहत आने वाली उन जमीनों पर भी चर्चा हुई, जो सुल्तानों के जमाने से वक्फ की गई हैं. ऐसी जमीनों पर आने वाली कानूनी अड़चनों पर भी चर्चा हुई.
- नए वक्फ कानून में पांच साल प्रैक्टिस मुस्लिम का प्रावधान रखा गया है. जिसके चलते कुछ सदस्यों ने मुसलमानों को वक्फ की बजाय ट्रस्ट बनाने की बात उठाई.
- आम मुसलमानों को पैनिक ना किया जाए. इस संदेश को लोगों तक ले जाने की मुहिम पर चर्चा हुई.
- मुसलमानों के बीच नए कानून को लेकर नाराजगी का फायदा कोई राजनीतिक दल किसी तरह उठाने ना पाए, इसे जनता के बीच ले जाने पर चर्चा हुई. दरअसल, नए वक्फ कानून में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है कि जो कोई भी इस्लाम धर्म अपनाता है तो उसे वक्फ में दान देने से पहले 5 साल तक इस्लाम धर्म का पालन करना होगा.
- सदस्यों ने कहा कि नया कानून वक्फ की जमीन पर सरकार का सीधा हमला है. कानून लागू होने पर नए मसले खड़े होंगे.
- सदस्यों ने इस बात पर भी चर्चा की कि कानून लागू होने के चलते उत्तर प्रदेश और बिहार के मुसलमानों और मुस्लिम संगठनों के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी हो सकती है.
- सदस्यों ने इस बात पर भी जोर दिया कि आम मुसलमानों तक यह संदेश पहुंचाया जाए कि अब हमारे पास कानूनी रास्ते क्या हैं.
- वक्फ की जमीनों को लेकर कानूनी मसले सामने आएंगे तो उनसे कैसे लड़ा जाए.
- जमीयत अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग इलाकों में इस कानून के लागू होने के प्रभाव और कानूनी अड़चनों को स्टडी करेगा.
इससे पहले जमीयत उलमा-ए-हिंद के सचिव नियाज अहमद फारूकी ने कहा था, यह लोकतंत्र बनाम तानाशाही है. हमारी स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है और हमारी आवाज को दबाया जा रहा है. हम कोई हिंसा नहीं करेंगे और हिंसा नहीं होने देंगे. मुर्शिदाबाद में जो हुआ उसके लिए सरकार जिम्मेदार है. अगर आप लोगों को शांतिपूर्ण तरीके से विरोध नहीं करने देंगे तो यही होता है. वक्फ संशोधन अधिनियम से बिल्डरों को फायदा होगा.