– दिल्ली दर्पण ब्यूरो
दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी की बंपर जीत के बाद मंदिर प्रकोष्ठ के संयोजक करनैल सिंह जहाँ चर्चा है वहीँ मंदिर प्रकोष्ठ से जुड़े ब्राह्मणों और मंदिरों के पुजारी गुस्से में है। दिल्ली के ब्राह्मण और पुजारियों में इस बात को लेकर गुस्सा है कि करनैल सिंह चुनाव से तीन साल तक सनातन सेवक का स्वांग रचकर यह ढोल पीटते रहे कि यदि दिल्ली में सनातन हितैषी सरकार बनी तो दिल्ली विधानसभा में पहला काम सभी मंदिरों को सुविधाएं और पुजारियों को वेतन मानदेय देने का फैसला होगा। पुजारी अपना वेतन खुद तय करेंगे। लेकिन हैरत इस बात की है की दिल्ली में ना केवल बीजेपी की सरकार बनी बल्कि करनैल सिंह भी शकूर बस्ती से विधायक बन गए। अब विधायक बनाने के बाद करनैल सिंह कभी दिल्ली का नाम बदलने की बात करते है तो कभी मीट-मछली की दुकानें बंद करने की आवाज उठाते है ,लेकिन अब पुजारियों और मंदिरों के विषय का जिक्र तक नहीं कर रहे है। करनैल सिंह अब पुजारियों से भी तरह से धीरे – धीरे किनारा करने लगे है। वजह वे उनके सवालों का सामना नहीं कर पा रहे है।

गौरतलब है क़ि दिल्ली में बीजेपी ने पहली बार मंदिर प्रकोष्ठ का गठन कर इसकी कमान करनैल सिंह को सौंपी। खुद को अमेरिका रिटर्न NRI बताते हुए कहा की उन्होंने अपना जीवन अब सनातन के नाम कर दिया है। उन्होंने पैसों के बल पर अपना खूब प्रचार किया और खुद को मंदिर प्रकोष्ठ का चेहरा ही नहीं बनाया बल्कि यह भी संदेश दिया कि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी और योगी ने दिल्ली भेजा है। अब दिल्ली पर ब्राह्मणों का राज होगा। पुजारी इनके वादों के जुमलों में आ गए ,लेकिन चुनाव से ठीक पहले बड़ी संख्या में कई संतों और पुजारियों इनकी मंशा को भांप कर खुद को मंदिर प्रकोष्ठ से अलग कर लिया। यह दावा किया कि करनैल सिंह महत्वकांक्षाओं के घोड़े पर सवार है और सनातन की आड़ में दिल्ली का भगवाधारी सीएम बनाने का सपना देख रहे है।
करनैल सिंह कौन है ,यह सवाल पुजारियों और पॉलिटिकल हलके में सदा हैरानी का विषय बना रहा। लेकिन जैसे ही दिल्ली विधानसभा चुनाव में इन्हे टिकट मिली तो इस रहस्य से थोड़ा बहुत पर्दा भी उठ गया। OBC जाती का यह शक्श दिल्ली का सबसे अमीर विधायक तो है , लेकिन शैक्षिणिक योग्यता में शायद सबसे कम है। चुनावी हलफनामे में अपनी 259 करोड़ रुपये की सम्पत्ति की घोषणा करने वाले, कुल जमा महज 10 वीं पास इस शख्स पर अब आरोप लग रहे है कि करनैल सिंह ने उनकी भावनाओं का इस्तेमाल सिर्फ वोट हासिल करने के लिए किया। कुछ पुजारियों ने यह भी दावा किया कि करनैल सिंह अब कह रहे हैं कि “अभी सरकार बने ज्यादा दिन नहीं हुए, उनकी सरकार बनेगी और वह मुख्यमंत्री बनेंगे, तभी सुविधाएं दी जाएंगी।” इससे पुजारियों में असंतोष और गहरा गया है। उनका मानना है कि करनैल सिंह ने न सिर्फ बीजेपी के मंदिर प्रकोष्ठ का इस्तेमाल किया, बल्कि सनातन धर्म के नाम पर उनकी आस्था को भी राजनीतिक हथियार बनाया। इस सबके बावजूद करनैल सिंह अभी भी सीएम बनाने का सपना देख रहे है। अभी भी दिल्ली में उनके बड़े बड़े और महंगे यूनिपोल ( होर्डिंग ) लगे नजर आ रहे है। नाम गुप्त रखने की शर्त पर मंदिर प्रकोष्ठ से जुड़े एक शक्श के अनुसार वे अब भी यह सपना देख रहे है कि दिल्ली में रेखा गुप्ता ज्यादा समय तक सीएम नहीं रहने वाली है। अपने नागपुर के सम्पर्कों का हवाला देकर भरोसा दे रहे है कि उनकी उम्मीदें अभी ज़िंदा है।