रोते-बिलखते ये लोग दिल्ली के दीप चंद बंधु अस्पताल में कार्यरत है लेकिन इनकी परेशानी ये है कि अस्पताल में इनको रखने वाली कंपनी का टैंडर किसी और कंपनी को मिल गया है जिसके चलते इन लोगों को अस्पताल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
लोग परेशान हैं, मायूस हैं और तिलमिला रहे हैं कि आखिर कैसे अपनी मुफलिसी के दौर में बिना नौकरी के गुजर-बसर कर पाएंगे।कुछ महिलाओं के सर पर पति का साया भी नहीं है, कुछ कर्मचारी किराए पर भी रहते हैं, सभी परेशान हैं जिसके चलते सभी कर्मचारियों ने दिल्ली के हेल्थ मिनिस्टर सत्येंद्र जैन से भी गुहार लगाई है लेकिन आश्वासन के अलावा उन्हे कुछ हासिल नहीं हुआ। कुछ लोगों का ये भी कहना है कि उन्हें पैसे लेकर नौकरी पर रखा गया था और अब टैंडर बदलने के बाद भी दूसरे लोगों से पैसे मांगे जाएंगे और फिर उन्हें नौकरी मिलेगी।इन कर्मचारियों का ये भी कहना है कि अगर इन्होनें भी दोबारा पैसे दे दिए तो इन्हे फिर से नौकरी मिल जाएगी लेकिन सोचिए कि आखिर बार-बार ये पैसे लाएंगे कहां से।
वहीं डॉक्टरों की माने तो हर साल नया स्टाफ आने के बाद उन्हें कई महीने सिर्फ काम सिखाने और जगह बताने में लग जाते हैं ऐसे में सवाल ये है कि क्या सरकारें जान-बूझ कर हर साल टैंडर बदलती हैं ताकि वो पैसे खपा सकें या फिर आम जन के मुंह से निवाले को छीनने में सरकार को मजा आता है, वो खुश होती है कि लोग बेरोजगार हो रहे हैं।आखिर क्या है ये पूरा माजरा कौन है इसका जिम्मेदार, कौन करेगा इन कर्मचारियों की मदद, क्यों मंत्री और अधिकारियों से मिलते हैं केवल आश्वासन… ये माजरा गंभीर है और सोचने का एक बड़ा विषय भी खैर दिल्ली दर्पण टीवी लगातार ऐसी खबरों को प्रमुखता से दिखाता रहा है और आगे भी दिखाता रहेगा आप बने रहिएगा दिल्ली दर्पण टीवी के सा