दिल्ली में 16 तारीख से कुछ मांगों को लेकर सरकार व एम सी डी के खिलाफ नर्सों की हड़ताल जारी है। इस हड़ताल की जानकारी 3 अक्टूबर को दे दी गई थी और 5 नवम्बर को रिमाइंडर भी भेजा था पर अभी तक सरकार या एम सी डी का कोई भी कर्मचारी इनसे मिलने नहीं आया है। इस हड़ताल की वजह से मरीज़ों को काफी परेशानी हो रही है पर कोई भी इनकी बात सुनने को तैयार नहीं है। ऐसे में ये अपनी गुहार कहा जाकर सुनाये।
नर्सें अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आई है और आज हिन्दू राव हॉस्पिटल के बाहर नर्सें बड़ी तादाद में इकठ्ठा हुई और एम सी डी व सरकार के खिलाफ नारे लगाये। हालाँकि कुछ नेता आ तो रहे है इनसे मिलने पर वो आश्वासन के शिव कुछ नही दे रहे है। खेर ये काम तो सरकार का है पर सरकार भी कुछ नही कर रही है और एम सी डी को तो अपनी खुद की उलझनों में से निकलने की फुर्सत नही यदि होती तो इन नर्सों के बारे में कुछ अवश्य सोचती।
हड़ताल पर गई हुई नर्सों का कहना है की अभी तक हमारी मांगों के बारे में एडमिनिस्ट्रेशन ने कुछ भी नही सोचा और ये लोग अभी भी सो रहे है। हमारी मांगे ऐसी नही है जो पूरी न हो सकें। आज एक नर्स 50 मरीजों को देखती है हमारी मांगे मरीज़ों से ही सम्बंधित है यदि ये ज़्यादा नर्सें होंगी तो इन्ही को ही फ़ायदा होगा। नर्सें मरीज़ों पर पूरा ध्यान दें पाएंगी। हमारी इतनी वेकेन्सी खाली पड़ी है। पर्सनल अस्सिटेंट व स्टाफ नर्स पर नर्सों की भर्ती के बजाये उन्हें निकलने की मुहीम सरकार चला रही है। अभी तक नर्सों की वेकेंसी 169 है जो दिसंबर तक 203 हो जाएगी।
सुष्मा कुमारी का कहना है की हम सड़कों पर उतरना नहीं चाहते थे पर एम सी डी के कमिश्नर और डी के सेठ ने हमें मजबूर किया है। हमारी कोई भी मांगों की सुनवाई नहीं हो रही है उन्हें सोचना चाहिए की मरीज सफर कर रहे है। और उच्च अधिकारी व नेता सिर्फ आश्वासन दे रहे है। और हमें अगस्त से सेलेरी भी नहीं मिली है। हमारे स्टाफ को भी निकला जा रहा है। जबकि वो स्टाफ अच्छी सर्विस दे रहा है। और ये अपनी आँखों पर पट्टी बांध कर बैठे है।