शिवानी मोरवाल, संवाददाता
नई दिल्ली।। वैसे तो दिल्ली के ऐतिहासिक नामों में इंद्रप्रस्थ आज भी सबसे लोकप्रिय नाम है, किंतु लोगों द्वारा इसे कई नामों से पुकारा जाता रहा है। उदाहरण के लिए दिल्ली में जब कोरोना का कहर बढ़ा तो दिल्ली को कोरोना वाली दिल्ली कहां गया। इसी तरह से जब दिल्ली में प्रदूषण बढ़ा तब लोगों ने प्रदूषण वाली दिल्ली के नाम से भी पुकारा गया। अब जब दिल्ली की सफाई की बात आई तो दिलवालों की दिल्ली अब दिल्ली को कूड़े वाले दिल्ली के नाम से जाना जा रहा है। इसका कारण भी है, क्योंकि कूड़े वाले दिल्ली बनाने में गलती लोगों की नहीं बल्कि एमसीडी की है। वजह 7 महींनो से लगातार एमसीड़ी विभाग के कर्मचारी अपनी तंख्वाह नहीं मिलने से परेशान है।
इसे लेकर वे समय-समय हड़ताल करते रहे हैं, जिससे कूड़े उठाने से लेकर उसके निपटारे के काम में बाधा पहुंचती रही है। अब हालात इतने खराब हो चुकें है कि शायद ही कोई गली-सड़क का नुक्कड़ या मकानों के बीच का कोना नहीं बचा हो जहां कूड़ा नहीं पड़ा हो। पिछले 7 जनवरी से एमसीड़ी के कर्मचारियों ने अनिश्चिकालीन हड़ताल कर दी है। इनकी मांग सिर्फ और सिर्फ बकाये तन्ख्वाह के भुगतान को लेकर है।
जब इस संवाददाता ने हड़ताली सफाई कर्मचारियों से पूछा तब उन्होंने बताया कि पिछले 6 से 7 महींने से उनकी तन्ख्वाह नहीं आई है। उनकी शिकायत है कि सरकार कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। उन्होंने बताया कि हम एमसीडी के मेयरो से अपनी सैलरी मांगते है, तो वे कहते दिल्ली सरकार की तरफ से अभी नहीं आई है। हम कैसे दे दें। जब हम दिल्ली सरकार से गुहार लगाते है, तो वे भाजपा पर घोटाले का इल्जाम लगाकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
जिससे अब एमसीडी के सभी कर्मचारी उनके बीच पिस रहे है। सब अपनी राजनीति रोटियां सेंक रहे है, किसी को यह नहीं पता कि एक कर्मचारी अपने घर को कैसे चला रहा है। अब दिल्ली कूड़े वाली दिल्ली बने या गंदगी की। हम तबतक अपने काम पर वापस नही लौटेंगे जबतक कि हमारा वेतन हमें नहीं मिल जाता।