Friday, November 22, 2024
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आयु और प्रकृति का सम्बन्ध

प्रकृति के निकट रहना ही स्वास्थ्य का खजाना होता है

दिल्ली दर्पण टीवी
नई दिल्ली।
मंगलवार 29 मार्च 2022, को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “125 वर्ष स्वस्थ कैसे जीये” इस विषय पर ऑनलाइन सैमीनार का आयोजन किया गया । यह कॅरोना काल मे 378 वा सैमीनार था । सैमीनार में मुख्य वक्त के तौर पर शामिल हुए सेवा सदन के महामंत्री चौधरी मंगल सिंह ने कहा कि हम प्रकृति के निकट रहकर 125 वर्ष तक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन तीन चीजों पर आधारित है सांस,पानी व भोजन। जब हम सांस की बात करते हैं तो हमारा ध्यान हमेशा , हमारे आस – पास के वातावरण ,पेड़ पौधे आदि के बारे में जाता है और हम तुरन्त सोच लेते हैं कि आस पास पॉल्यूशन बहुत अधिक है| इस लिए हम परेशान भी रहते हैं,

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मगर हम जिस की वजह से जिंदा हैं उस पर कभी ध्यान ही नहीँ देते , उन्होंने कहा हमें जिंदा रहने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी हैं सांस-बगैर सांस के जिंदा रहने की कल्पना भी नहीँ कर सकते , जब तक सांसें चल रही है तभी तक जीवन है ,यदि सांसें बन्द हो गई तो बस तो जीवन खत्म , लेकिन विडम्बना ये है कि हम आदतन सांस ही छोटा सा लेते हैं , बहुत कम सांस या कहें कि बहुत थोडी वायु अपने सांस लेने में इस्तेमाल करते हैं जिस की वजह से प्राणवायु यानि कि ऑक्सीजन बहुत ही कम मात्रा में हमारे शरीर को मिल पाती है, जो भी हम छोटा सा सांस लेते हैं उसमें ऑक्ससीजन के अलावा और भी कई तरह की गैसें मिक्स होती हैं जिस से बहुत कम मात्रा में प्राण वायु – ऑक्सीजन हमारे शरीर को मिलती है , कम मात्रा में ऑक्सीजन मिलने की वजह से हमारे शरीर में नये सेल्स का सृजन होने की क्रिया बाधित होती रहती है , जिस प्रकार प्रकृति में हमेशा सृजन व विनाश का कार्य चलता रहता है जैसे कि आप पेड़ पौधों को भी देखते हैं कि हमेशा पौधा जब बड़ा होता है तो उसमें नये पत्ते -कलियां निकलती रहती हैं पुराने पत्ते सूख कर नीचे गिरते रहते हैं ठीक उसी तरह से हमारे शरीर में भी चौबीसों घण्टे ये बदलाव हमेशा चलता रहता है नये सेल्स का निर्माण होता रहता है और पुराने सेल्स नष्ट होते रहते हैं , मगर फर्क इतना है कि पेड़ पौधों के पत्ते सूख कर पेड़ों से अलग होकर नीचे गिर जाते हैं ,जबकि हमारे शरीर में ये नष्ट होने वाले सेल्स टॉक्सिस के रूप में जमा होते रहते हैं ,
परमात्मा ने हमारे शरीर की संरचना बहुत ही सोच समझ कर की है ,हमारे शरीर में सांसें ग्रहण करने की मशीन लँगस को बहुत विस्तार से बनाया है जिससे कि हम बड़ा व लम्बा सांस ले सकें , मगर हम प्राय उसका पूरा उपयोग ही नहीं करते ,40 वर्ष की आयु पार करने के बाद छोटा सांस लेने की आदत की वजह से या ये कहें कि हमारे द्वारा लंग्स से पूरा काम ना लेने की वजह से ये लँगससंकुचित होकर सिकुड़ना प्रारम्भ कर देते हैं, जिस से छोटे छोटे सांस लेने की वजह से हमारे शरीर को प्राणवायु ऑक्सीजन प्रॉपर ना मिलने की वजह से नये सेल्स का बनना प्रायः बन्द सा हो जाता है, ओर पुराने सेल्स का नष्ट होते रहना जारी रहता है ,असल में बुढापा आने या विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त होने का कारण भी यही है हमारे शरीर को कम ऑक्सजन मिलने के कारण हमारी सृजन शक्ति कम हो जाती है तथा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी धीरे – धीरे नष्ट होने लगती है और यही नष्ट होते सेल्स टॉक्सिस के रूप में हमारे शरीर में इकठ्ठा होते रहते हैं ,ये टॉक्सिस बहुत कम मात्रा में हमारे शरीर से बाहर निकलते हैं जो कि कभी कभी केंसर का रूप भी धारण कर लेते हैं ,
हमें स्वस्थ्य रहने के लिए , हमारे शरीर को अधिक ऑक्सीजन की जरूरत होती है ,जो कि कुछ समय लम्बे सांस लेकर प्राकृतिक रूप से पूरी की जा सकती है ,इसका प्रमाण हम देखते हैं कि जब हम जीवन व मृत्यु के अन्तिम पड़ाव पर होते ,उस समय हमारे बच्चे या शुभ चिंतक हॉस्पिटल लेकर भागते हैं ,और हॉस्पिटल में हमारी जगह आई सी यू में होती है, वहां पहुंचते ही डॉक्टर साहब हमारा जीवन बचाने के लिए सबसे पहले हमको ऑक्सीजन की स्पोर्ट देते हैं , मगर विडम्बना यही है की हम अपने जीवन में छोटा सांस लेने की वजह से जाने अनजाने स्वतः ही मृत्यु की तरफ अग्रसर होते रहते हैं । उन्होंने कहा, यदि हम प्रति दिन आधा घण्टा लम्बे सांस Deepbreething (दीपब्रेथिंग ) लेने की आदत बना लें तो बहुत सारी बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं , केंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी deepbreething से ठीक जो सकती है , उन्होंने लोगो को परामर्श देते हुए कहा की इस प्रक्रिया को आज से ही प्रारम्भ करें | ‘हमें सीधे बैठकर ,कमर सीधी करके बैठना है और आराम से नाक के द्वारा लम्बे सांस लेने है तथा मुँह खोलकर लम्बे लिये हुए सांस को बाहर निकाल देना है| ,ये बहुत ही आसान प्रक्रिया है , इस प्रक्रिया को घडी में समय देख कर प्रतिदिन कम से कम आधा घंटा (तीस मिनट)करना है’ प्रारम्भ के पहले दिन हो सकता है कि शुरू के 5 मिनटों में ही कुछ थकान महसूस हो ,मगर धीरे धीरे अभ्यास करके समय को बढ़ाना है , ये कार्य कहीं भी ओर कभी भी किया जा सकता है, इस में हम केवल सांस लेने की ही बात करते हैं आज से हम ये लम्बे सांस लेने की प्रक्रिया शुरू करें, इस से हम निश्चचित ही 125 वर्ष स्वस्थ्य जीवन जी सकेंगे।
दूसरे नम्बर पर आता है पानी
मित्रो हमारे शरीर में 75 प्रतिशत पानी है , मगर विडम्बना ये है कि पाइन वाले पानी को हम कभी चैक हिनहीँ करते ,हमारे शरीर की प्रकृति क्षारीय (ऐल्कलाइन )होती है , जोभी हम ऐल्कलाइन खाद्य पदार्थ कहते हैं वो हमें सुपाच्य होता है और एसिडिक खाद्य पदार्थ नुकसान करते है ,आर ओ द्वारा पानी को एसिडिक बना दिया जाता है ,जिस के पीने से हमारी पेनक्रियाज ,लीवर ,किडनी सब धीरे धीरे खराब हो जाती हैं यहां तक कि हम इसकी वजह से कैंसरस भी हो जाते है, लम्बे जीवन जीने के लिए हमें ऐल्कलाइन पानी पीना चाहिए, तीसरे नम्बर पर आता है खाना
किसानों के द्वारा बहुत अधिक मात्रा में कीटनाशकों का प्रयोग करने की बजह से हमारे खाने की जीन्स तक कीटनाशक पहुंच गया है, ये कहें कि खाना खाने के साथ हम धीमा जहर भी खा रहे है ,हमें जैविक भोजन की आवश्यकता है, संक्षेप में यूं कहें कि यदि हम आधा घण्टा डीप ब्रीथिंग कर लें ,पानी ऐल्कलाइन नेचुरल पी लें तथा भोजन जैविक इतेमाल कर लें तो 125 वर्ध स्वस्थ जीवित रह सकते हैं । केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन करते हुए इन बातों को अपनाने पर जोर दिया । वही मुख्य अतिथि डॉ. चंद्र केतु(निदेशक, आयुध) व अध्यक्ष डॉ. गजराज सिंह आर्य ने भी जीवन वेदों के अनुसार जीने पर बल दिया । राष्ट्रीय मंत्री प्रवीन आर्य ने ध्यान व योग को लागू करने का आह्वान किया।

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