Friday, November 22, 2024
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2024 Lok Sabha: गांधी जयंती से विपक्ष को संघर्ष सिखाने जा रहे राजनीति के मैनेजर प्रशांत कुमार, निकाल रहे हैं जनसुराज यात्रा 

2024 Lok Sabha: नीतीश कुमार की तैयारियों पर बोले- प्रशांत किशोर- कुछ नेताओं के साथ कॉफी पीना और फोटो खिंचवाना जीतने का तरीका नहीं

सी.एस. राजपूत 
राजनीति और संघर्ष की जननी कहे जाने बिहार में जब राजनीतिक दलों ने सघर्ष छोड़ दिया है तो राजनीति के मैनेजर कहे जाने वाले प्रशांत कुमार बिहार में संघर्ष करने जा रहे हैं। वह कल यानि कि गांधी जयंती से जनसुराज यात्रा निकालने जा रहे हैं। वह बिहार के मुख्यमंत्री को कॉफी पीने और फोटो खिंचवाने से बदलाव नहीं आने की बात कह रहे हैं। 

दरअसल लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तैयारियों को लेकर पूछे गए सवाल पर प्रशांत कुमार ने नीतीश कुमार के राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किए गए भारतीय जनता पार्टी विरोधी अभियान की आलोचना की। उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं के साथ कॉफी पीना और फोटो खिंचवाना जीतने का तरीका नहीं हैं। इससे राष्ट्रीय राजनीति नहीं बदलती है। कोई प्रधानमंत्री नहीं बनता। बिहार आज भी पिछड़ा राज्य है।

नीतीश कुमार बगैर सरकारी सुरक्षा के निकल जाएं फिर उन्हें विकास समझ में आ जाएगा। नीतीश कुमार 10 साल से राजनीतिक बाजीगरी दिखा रहे हैं और कुर्सी से चिपके हुए हैं। कुर्सी से चिपकने से कुछ नहीं होने वाला है। धरातल पर काम करना होगा।  

प्रशांत किशोर ने कहा पहली बार, मैंने देखा है कि लोग 2014-15 तक नीतीश कुमार के लिए उन शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते थे, जब तक मैंने उनके लिए काम नहीं किया। 2015 तक किसी ने भी नीतीश के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। लेकिन लोग अब उनके लिए अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा मुझे लगता है कि नीतीश कुमार के लिए वह दौर खत्म हो गया है। निचली नौकरशाही में भ्रष्टाचार, सुस्ती और अक्षमता है। ऐसे पदाधिकारियों में सरकार का कोई भय नहीं है।

अपनी पदयात्रा को लेकर प्रशांत किशोर का दावा है कि बिहार के इतिहास में पिछले 75 वर्षों में ऐसी पदयात्रा नहीं हुई। 3500 किलोमीटर की पदयात्रा के पीछे का उद्देश्य नए बिहार की बुनियाद रखना है। लोगों से बात करके पलायन, बेरोजगारी, कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुख्य बिंदुओं पर आधारित अगले 15 वर्षों के लिए पंचायत स्तर पर बिहार के विकास का विजन डाक्यूमेंट तैयार करना है। 
उन्होंने मैं अपनी यात्रा के दौरान उन गांवों में रुकूंगा जहां मैं शाम को पहुंचूंगा। मैंने राष्ट्रीय राजमार्गों से परहेज किया है। मैं सभी ब्लॉकों और सभी कस्बों और अधिकांश पंचायतों का दौरा करूंगा। मेरा विचार है कि अधिक से अधिक संख्या में गांवों का दौरा करें और ऐसे लोगों की पहचान करें, जिन्हें राजनीति में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

किशोर ने कहा कि पश्चिम चंपारण मैं अपनी पदयात्रा शुरू करूंगा, मैं इस जिले में 35 दिनों तक घूमूंगा। इसलिए मैंने पदयात्रा पूरी करने के लिए डेढ़ साल रखा है। जहां तक ​​सामाजिक मेलजोल की बात है, यह सच है कि बिहार में जाति एक सच्चाई है, लेकिन लोग मुझे जाति के नेता के रूप में नहीं देखते हैं। मेरी एक अलग यूएसपी है। वे मुझसे बदलाव की उम्मीद करते हैं। लोगों का एक वर्ग भी है जो सोचता है कि मैं बदलाव ला सकता हूं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सोचते हैं कि अगर मैं उनकी मदद करूँ तो वे स्थानीय स्तर के चुनाव जीत सकते हैं।

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