Friday, November 8, 2024
spot_img
Homeराष्ट्रीयBharta Jodo Yatra : 51वें दिन तेलंगाना के मरिकल से हुई शुरुआत

Bharta Jodo Yatra : 51वें दिन तेलंगाना के मरिकल से हुई शुरुआत

दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो 

आज भारत जोड़ो यात्रा के 51वें दिन की शुरुआत तेलंगाना के मरिकल से हुई। भारत जोड़ो यात्रा अब तक एक तिहाई सफ़र पूरा कर चुकी है। यात्रा को 5 राज्यों और 19 जिलों में अद्भुत जन समर्थन मिला है। भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता, सामाजिक ध्रुवीकरण और राजनीतिक तानाशाही के खिलाफ जनता एकजुट हो रहा है।

आज नागरिक समाज के प्रतिभागियों के साथ महिला स्वराज की वरिष्ठ साथी वर्षा जुड़ी। वर्षा अपने समूह के साथ पिछले 10 सालों से तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश में बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा, महिलाओं को बराबरी का अधिकार और ट्रांस जेंडर के मुद्दों पर काम कर रही हैं। वर्षा भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से बिलकिस बानो को न्याय दिलाने के लिए काम कर रही हैं।

नागरिक समाज के प्रतिभागियों ने आज गेंदा के फूलों की खेती करने वाली एक किसान कुरुमम्मा से मुलाकात की और उनकी फसल के बारे में जानकारी ली। अम्मा के पास डेढ़ एकड़ जमीन है, जिसमें उन्होंने दशहरा और दीपावली त्योहार के दौरान पैसे कमाने की उम्मीद में गेंदे के फूल के पौधे बोए थे। जब हमने उनसे पूछा कि क्या गेंदा बोना लाभदायक है, तो उन्होंने बताया कि अगर मौसम अच्छा रहा और वह समय पर बाजार में कटे हुए फूलों को बेचने में कामयाब हो जाती है, तो वह लगभग पचास हजार रुपये कमा लेती हैं।

कुरुमम्मा ने गेंदा की फसल के उत्पादन के लिए अपना मंगलसूत्र और कानों की बाली गिरवी रख कर 3 प्रतिशत प्रति माह ब्याज (साल के हिसाब से गणना करें तो 36 प्रतिशत ब्याज दर) पर एक लाख रुपये उधार लिए थे। लेकिन मूसलाधार बारिश के कारण उनके आधे से अधिक गेंदे फसल सड़ गए। उसके पास पीले और नारंगी गेंदे के दो ढेर थे और एक तीसरा ढेर उतना ही बड़ा आधा सड़ा फूलों का था। जब हमने उनसे पूछा कि आप आज कर्ज कैसे चुकाएंगी, तो बोली जहां से पहले कर्ज लिया था वहीं से दोबारा उन्हीं दरों पर ब्याज लेना पड़ेगा। अगर कहीं से और से उधार लेंगी तो उनकी दोनों चीजें जब्त हो जाएंगी, और उन्हें ऊपर से जो पैसे लिए थे वह भी ब्याज के साथ देने पड़ेंगे।

तेलंगाना, कर्नाटक अन्य राज्यों में हजारों किसानों की यही कहानी है। कर्नाटक और तेलंगाना में इस बार बहुत ज्यादा बारिश होने के कारण किसानों की फसल बाजार में पहुंचने से पहले ही खराब हो गई। देश के किसानों और अन्नदाताओं को इस संकट से निकालने के लिए राज्य एवं केंद्र सरकार के पास कोई स्कीम नहीं है। किसान इस कर्ज के जाल में फंसते ही जा रहे हैं और आखिर में अपनी अनमोल जिंदगी को खत्म कर लेते हैं। यात्रा शाम सात बजे मान्यकोंडा, ओब्लाइपल्ले में समाप्त हुई।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments