विजय ठाकुर : दिल्ली दर्पण
Delhi। राजधानी दिल्ली में नई सरकार आने के बाद लगातार तत्कालीन Govt के कारनामे उजागर हो रहे हैं। Delhi Assembly में नई CAG Report पेश होने से पहले एक बड़ा खुलासा हुआ है| जिसने दिल्ली वालों को सोचने पर मजबूर कर दिया है , की किस हद तक हमारे सिस्टम में तैनाद अधिकारी और सरकार जनता के पैसों के साथ खिलवाड़ कर सकती हैं । ताज़ा मामला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग से जुड़ा हुआ है Reports के मुताबिक जिन Electronic Point of Sale ( ईपीओएस) मशीने ( इन मशीनों का इस्तेमाल राशन की दुकानों पर Verification के लिए किया जाता है ) मशीनों की कीमत ही करीब 4.5 करोड़ बैठती हैं, उनका लगभग 18 करोड़ रूपए किराया भर दिया गया और चार गुना कीमत अदा करके भी यह मशीन ना तो खाद एवं आपूर्ति विभाग की हुई , ना Delhi Government की और ना ही राशन दुकानदारों की । रिपोर्ट्स के मुताबिक फरवरी 2021 में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने ईपीओएस मशीनों के लिए टेंडर निकला था । दिल्ली में सरकारी राशन की करीब 2000 दुकान हैं जहां पर ईपीओएस मशीन को अनिवार्य किया गया था । इस मशीन से प्रामाणिक ढंग से लाभार्थी की पहचान की जा सकती है । गुणवत्ता के हिसाब से एक मशीन की कीमत 20 से ₹30 हज़ार है। लेकिन विभाग ने इनकी खरीद ना करके Bharat Electronic Limited (बेल) से 2100 मशीन किराए पर ले ली । एक Machine का किराया प्रतिमहा 1844 तय हुआ और अनुबंध 5 साल का किया गया । जुलाई 2021 से इस्तेमाल भी शुरू हो गया (बेल) ने इन मशीनों का रखरखाव (Vision Tech ) नाम की Company को दे दिया । खराबी आने पर इसी कंपनी के Engineer इन्हें ठीक करते हैं और खर्च दुकानदार उठता है , आरोप है की विजन टेक से उन्हें इसकी रसीद भी मिलती है ।

अब नए आदेश में ईपीओएस मशीन को मापतौल की मशीन से भी जोड़ने के लिए कहा गया है । राशन दुकानदारों का कहना है कि आए दिन नए फरमान से सरकारी धन का दुरुपयोग तो किया जाता है लेकिन पिछले 7 माह से उन्हें मार्जिन मनी नहीं दी जा रही है । बता दें कि 29 अक्टूबर 2024 को उत्तर पश्चिमी दिल्ली के सांसद Yogendra Chandolia ने भी मामले की जांच के लिए LG VK Saxena को पत्र लिखा पर इस संबंध में अभी तक LG Office के माध्यम से कोई अपडेट नहीं आया है ।
रिपोर्ट्स में शिव कुमार गर्ग जो अध्यक्ष है Delhi Government की राशन डीलर संघ के उनका कहना है ईपीओएस मशीनों को किराए पर लेना धन की बर्बादी है। इन मशीनों के रखरखाव का खर्च राशन दुकानदारों को उठाना पड़ता है जिसकी रसीद तक नहीं मिलती । एक तरफ पैसे की बर्बादी हो रही है तो दूसरी तरफ दुकानदारों को मार्जिन मनी नहीं दी जा रही है
तत्कालीन दिल्ली सरकार पर कई रिपोर्ट में पहले ही भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा चुके हैं। अब इस नए रिपोर्ट्स में जिस तरीके का दावा किया गया है यह निश्चित रूप से दिखता है की किस प्रकार पूर्व की सरकारों में सरकार के अधिकारियों ने ही आप सरकार को चपत लगाने का भरपूर प्रयास किया है। अब देखना यह होगा की रिपोर्ट पब्लिक डोमेन में आने के बाद उप राज्यपाल के ऑफिस की ओर से कब इसके जांच के आदेश दिए जाते हैं ।