अशोक विहार फेज 2 के इस गुरुद्वारे में उमड़ी यह भीड़ यह समझने के लिए काफी है की इस कड़ाके की सर्दी में गरीब लोगों के लिए कपडे की क्या कीमत होती है –क्या बच्चे क्या बड़े बूढ़े और महिलाएं –हर चहरे पर उम्मीद है –जिसे मनपसंद कपडा मिल गया उसके चहरे पर ख़ुशी है –जिसे नहीं मिला वो अपनी बारी के इन्तजार में है –वज़ीर pur जन सहयोग मंच ने भी नहीं सोचा होगा की उसके आह्वान पर लोग जितनी बड़ी तादाद में कपडे, जूते, कंबल देने कैंप में आएंगे उससे कहीं ज्यादा लोग ये कपडे लेने पहुंच जायेगे –