वज़ीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया के आस पास रिहायशी इलाकों में रहने वाले लोग साँसों में ऑक्सीजन की साथ साथ ज़हर भी भरते हैं। कारखानों से निकलने वाला कई सौ क्विंटल वेस्ट रोजाना यहाँ डीडीए ग्राउंड में जलाया जा रहा है और लोग जहरिले धुएँ के बीच रहने को मजबूर हैं लेकिन प्रसाशन को सुध लेने की फुरसत नहीं। कूड़े से पटा डीडीए की खाली जमीन में हर दुसरे दिन , शाम होते ही भीषण आग लगती है और काले जहरीले धुएँ का ग़ुबार चारो ओर फ़ैल जाता है। ये कचरा कहीं और से नहीं आता बल्कि वज़ीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया की फैक्ट्रीयों से ही निकलता है, लेकिन डीडीए के नियमों को धता बताते हुए यहाँ के लोग खुले में कचरा जलाते हैं और चलते बनते हैं। इसका दुष्प्रभाव इसके आस पास रहने वाले हजारों लोगों को भुगतना पड़ता है। फायर अधिकारी कॉल मिलते ही मौके पर पहुँच कर आग बुझा तो देते हैं लेकिन इससे ये समस्या हल नहीं होती और हर दूसरे दिन कूड़े को जलाने का काम बदस्तूर जारी रहता है। एनजीटी के सख्त निर्देश हैं और फायर डिपार्टमेंट ने भी यहाँ के फैक्ट्रीयों को कई बार लिखा है लेकिन फैक्ट्री मालिक हैं की मानने को तैयार नहीं। लोगो का कहना है की पुलिस को भी इसकी सूचना कई बार दी गई है लेकिन पुलिस ने करवाई नहीं की। फायर कर्मचारी के अलावा कोई भी डिपार्टमेंट इस समस्या को लेकर गंभीर नहीं दीखता।
अब आलम ये है की आस पास के फ्लैटों में रहने वाले लोग काले धुएँ की गंध आते ही इस डीडीए मैदान की तरफ भागते हैं। आए दिन इनके घरों में लोग जहरीले धुएँ की वजह से बीमार पड़ते हैं और अस्पतालों के चक्कर काटते रहते हैं। लिहाजा ज़िन्दगी भर की कमाई लगा कर घर खरीदने वाले लोग अब सिवाय अफ़सोस के अलावा कुछ नहीं कर सकते।