मिथला की पावन धरती से सैंकड़ों किलोमीटर दूर देश की राजधानी दिल्ली में जब विश्व मैथिलि संघ ने अपने विरषिकोत्सव का आयोजन किया तो जैसे पूरा माहौल मिथिलामय हो उठा। मिथिला से पलायन कर ये लोग परदेस में तो बस गए लेकिन इनका दिल अब भी मैथिलि सभ्यता के लिये ही धड़कता है। संतनगर बुराड़ी में आयोजित इस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में मैथिलि प्रवासी शिरकत करने पहुँचे और अपने प्रदेश के गीत संगीत और मीठी बोली का आनंद लिया।
बुराड़ी के विधायक संजीव झा भी मिथिला से ही आते हैं , इस कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए विधायक भी मैथिलि वेशभूषा और बोली के साथ लोगों को संबोधित करते दिखे।
विश्व मैथिलि संघ से जुड़े सभी सदस्य आज भी अपने जड़ों से जुड़े हुए हैं और ये संस्था उनके लिए एक मंच है जो परदेस में भी उन्हें मिथिला के ऐतिहासिक सभ्यता और संस्कृति से बांधे रखता है।
जरूरी है की मिथिला की ये विशेषता परदेस में रहने वाली अगली पीढ़ी को भी समझ आये और वो भी इनका सम्मान करें। आयोजकों का भी यही उद्देश्य है की दिल्ली में रच बस जाने के बावजूद भी युवाओं में मैथिलि होने का भाव बरक़रार रहना चाहिये।
मिथिलांचल का एक बड़ा हिस्सा दिल्ली में बसता है , इनमें से कई लोग शिक्षा , राजनीति , व्यवसाय और अन्य क्षेत्रों में खुद को स्थापित कर चुके हैं। अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकाल कर सबों ने कार्यक्रम का आनंद लिया और एक दुसरे से अपने अनुभव और विचार भी साझा करते दिखे। क्षेत्र से दूर रह कर भी क्षेत्रीय सभ्यता को जीवंत रखने के लिये विश्व मैथिलि संघ का यह प्रयास सराहनीय है।