दिल्ली के अशोक विहार संजय मार्केट में आज सुबह जब दुकानदार अपनी दुकानें खोलने पहुँचे तो उनके दुकानों पर ताले के साथ दिल्ली नगर निगम की सील भी लगी हुई थी . बिना किसी पूर्व सूचना के दर्जनों दुकानों की सीलिंग कर दी गई तो इस करवाई के पीछे का भेद भी दुकानदारों ने खोल दिया .
वैसे तो दिल्ली नगर निगम अपने लचर व्यवस्था और भ्रष्टाचार के लिये पहले से ही ख़ासा कुख्यात है लेकिन बात जब गरीब दुकानदारों पर नियमों की मार चलाने की आई तो निगम के दफ्तर रविवार को भी खुल गये . इतना ही नहीं , आम दिनों पर सुबह दस बजे काम पर पहुँचने वाले कर्मचारी और अधिकारी अशोक विहार के संजय मार्केट में सुबह के आठ बजे ही पहुँच गये और दर्जनों दुकाने सील कर दी . अब दुकानदारों का आरोप है की बिना किसी पूर्व सूचना और कारण बताये उनकी दुकाने इस्लिये सील कर दी गई क्योकि उन्होंने निगम के अधिकारीयों के दफ्तर तक रिश्वत की मोटी रकम नहीं पहुँचाई थी .
हैरानी की बात है की एक ओर जहाँ तमाम कॉल और कोशिशों के बावजूद निगम के कर्मचारी समस्या का समाधान करने नहीं पहुँच पाते हैं वहीँ दूसरी ओर मामला सील लगाने का था तो रविवार को नोटिस भी निकल गया और सोमवार की सुबह आठ बजे के आस पास दर्जनों दुकाने भी सील हो गई . अब दुकानदार भी हैरानी में हैं की आखिर ये सब हुआ कैसे ? क्या ये सुविधा शुल्क समय से न पहुँचाने का परिणाम है ?
दिल्ली नगर निगम का इतिहास रहा है की उनके नियमों का डंडा वहीँ चलता है जहाँ से रिश्वत की मोटी रकम निगम के अधिकारीयों को नहीं पहुँचती . बिना लाइसेंस और अनुमति के चल रही हजारों दुकाने निगम में लिप्त भ्रष्टाचार को ही तो उजागर करते हैं . संजय मार्केट के दुकानदारों का कहना है की उनके टैक्स और अन्य शुल्क भी जमा किये हुए हैं बावजूद इसके इनकी दुकाने सील कर दी गई हैं . ना अधिकारीयों ने इनको कारण बताया और ना ही इनके पास पहले से कोई नोटिस ही पहुँचा था .