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मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है लेकिन जब मीडिया रिपोर्ट्स ही पक्षपात और पूर्वाग्रह से ग्रसित हों तो अपराध का आरोपी सुर्ख़ियों में छा जाता है और हाशिये पर होता है वो व्यक्ति जिसका कोई दोष ही नहीं। दिल्ली नगर निगम चुनाव में नरेला वार्ड नम्बर एक से भाजपा प्रत्याशी सविता खत्री के साथ जो कुछ भी हुआ है वो उन लोगों के लिये बेहद शर्मनाक है जो किसी खबर या घटना का पूरा सच जाने बिना ही ब्रेकिंग और मेकिंग न्यूज़ के समीकरण में विश्वास रखते हैं। ये नजारा है सविता खत्री के पदयात्रा का , जिसमें इनके समर्थन में हजारों लोग सड़क पर उतर आये हैं। नरेला वार्ड नम्बर एक से भाजपा प्रत्याशी सविता खत्री पर आरोप लगे थे की उनके प्रचार में आम आदमी पार्टी के पूर्व मंत्री और बलात्कार के आरोपी संदीप कुमार की मौजूदगी देखी गयी , पूरे मामले को बढ़ा चढ़ा कर ख़बरों में दिखाया गया और किसी ने भी खबर से पहले भाजपा प्रत्याशी सविता खत्री का पक्ष तक जानना जरूरी नहीं समझा। जब सविता खत्री से इस बाबत बात की गयी तो पता चला की वो संदीप कुमार को जानती तक नहीं हैं , और उनके सामने भी बड़ा सवाल यही है की आखिर एक दागी शख्स उनकी सभा में पहुँचा कैसे ? सविता खत्री ने पूरे मामले को विरोधियों की साजिश करार दिया , साथ ही उनकी ये विशाल पदयात्रा इस बात की गवाह है की तमाम मीडिया रिपोर्ट्स और अफवाहों के बावजूद नरेला में उन्हें व्यापक जनसमर्थन प्राप्त है। नरेला में सविता खत्री के समर्थकों का ये तक कहना है की अब वो पहले से ज्यादा मजबूती के साथ अपने प्रत्याशी के साथ खड़े हैं , सबका यही कहना है की रविवार को हुई सभा में संदीप कुमार अचानक ही पहुँच गए और इसमें स्थानीय भाजपा नेताओं या खुद भाजपा प्रत्याशी सविता खत्री की कोई भूमिका नहीं थी। पूरे मामले में अब तक यही देखा जा रहा है की नरेला वार्ड -1 से प्रत्याशी सविता खत्री के प्रति लोगों में साहनुभूति जागी है और एक महिला प्रत्याशी की छवि धूमिल करने की कोशिशों का यह भीड़ मुँह तोड़ जवाब देना चाहती है। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी की नरेला क्षेत्र की जनता जब आने वाली 23 अप्रैल को मतदान करेगी तो सविता खत्री को उनका कितना समर्थन मिल पाता है।