Sunday, May 5, 2024
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ग़ाजियाबाद वार्ड नंबर 15 में अव्यवस्था का बोलबाला

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देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से चुनावों की आहट सुनाई दे रही है | जल्द ही उत्तर प्रदेश में निगम चुनाव का शोर सुनाई देने वाला है…दिल्ली एनसीआर के नंबर १ वेब चैनल दिल्ली दर्पण ने शुरू की एक मुहीम,— मुहिंम इन जनप्रतिनिधियों को आईना दिखाने की.. ”दर्पण झूट न बोले” ये नाम है हमारी स्पेशल सीरीज का जो काम के बड़े बड़े दावे करने वालो की हकीक़त बयां करेगा और साथ ही नेताओ को उनके दावो की तस्वीर से भी रू ब रू करवाएगी. दर्पण झूठ न बोले की शुरुवात हमने की गाज़ियबाद के वार्ड नंबर १५ से.. हालाँकि परिसीमन के बाद गाजियाबाद वर्ड्स की तस्वीर थोड़ी बदली है…और कई इलाको को थोडा क्षेत्र के हिसाब से छोटा भी कर दिया गया है..हम बात कर रहे है वार्ड नंबर १५ की…पुराने गाजियाबाद की चरण सिंह कॉलोनी और राहुल विहार का इलाका इस वार्ड में पड़ता है… लेकिन इस वार्ड की तस्वीर देखकर हे अंदाज़ा हो जाता है आखिर क्यों स्वच्छ भारत की लिस्ट में गाजियाबाद को ३५१वां स्थान क्यों मिला… जगह जगह गंदगी के ढेर, नालिय भरी हुई, नालियों का पानी सडको पर, या यूँ कहिएं की मूलभूत सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं. महिलाओं के लिए सबसे बड़ी समस्या शौचालय का न होना …गाजियाबाद इलाके को बीजेपी का गढ़ भी मन जाता है, और २०१२ के निगम चुनाव में यहाँ से बीजेपी के मेयर चुन कर आये थे…लेकिन तस्वीर बेहतर होने की जगह बदतर हो गयी…आपको इन तस्वीरों में साफ़ नजर आ रहा होगा साफ़ सफाई तो दूर की बात यहाँ मूलभूत सुविधाए जैसे शौचालय, पीने का साफ़ पानी, पानी की निकासी, गंदगी जैसी समस्यायों का अम्बार लगा है..यहाँ से मौजूदा पार्षद है द्वारका प्रसाद, जिन्हें पप्पू ठ्केदार के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन इनके काम की हकीक़त आप खुद इनके क्षेत्र के निवासियों से सुन सकते है. वार्ड नंबर १५ की चरण सिंह कॉलोनी में रहने वाले लोगो का तो यहाँ तक कहना है की काम के नाम पर यहाँ पिछले ५ सालों में सिर्फ ८ लाख रुपए खर्च किये गए..महिलाएं तो पार्षद पप्पू ठेकेदार को उनके काम के लिए १० में से ० नंबर तक दे रही है..उनका कहना है की उन्होंने कभी भी पार्षद को इलाके में आते नहीं देखा केवल चुनावों के टाइम पार्षद साहब ने यहाँ अपना चेहरा दिखाया था..इस मामले में जब हमने पार्षद द्वारका प्रसाद से बात करनी चाही तो उन्होंने बात करना तक जरुरी नहीं समझा.. शायद वो अपनी पार्टी के बड़े नेताओ की छवि से ही जीतने का ख्वाब देख रहे है, या शायद वो जनता से इस क़दर बेखबर है की जनता के लिए उन्होंने क्या किया इसका हिसाब उनके पास खुद भी नही है…दिल्ली दर्पण की पड़ताल में पार्षद पप्पू ठेकेदार फेल हुए।

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