Thursday, November 7, 2024
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संस्कृत भाषा के बिना संस्कृति अधुरी

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अगर आपको लगता है की आज के आधुनिक दौर में देश की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत पर कोइ संकट है तो आप जरा ये सुनिए। इन बच्चों के मुख से संस्कृत भाषा का यह संगीत आपको मन्त्र मुग्ध कर देगा। आपकी यह सोच भी बदल जाएगी कि संस्कृत केवल वैदिक और कर्मकांड से जुड़ी भाषा ही नहीं है, यह करियर और कामयाबी का मूल मन्त्र भी बन सकती है। जरूरत है तो बस इस बात की कि संस्कृत भाषा को बढ़ावा दिया जाये, अभिभावकों को इसके महत्त्व को समझाया जाये। दिल्ली के द्वारका इलाके के वंदना इंटरनेशनल स्कूल ने इसी मकसद से स्कूल में संस्कृत महोत्सव का आयोजन किया। इस आयोजन में संस्कृत भाषा के कई विद्वान,  गुरु और ऐकेडमिशियन समेत  सीबीएसई के चैयरमेन राजेश चतुर्वेदी भी खास अतिथि रहे। राजेश चतुर्वेदी ने संस्कृत गुरु-शिष्य परम्परा का जिक्र करते हुए कहा की संस्कृत में दैवीय शक्ति है और पश्चिमी देश भी इस  इसका लोहा मानते हैं। आज इस देव भाषा पर संकट है और इसके कुछ कारण हैं। दिल्ली के बड़े और आधुनिक कहे जाने वाले निजी शिक्षण संस्थानों में संस्कृत को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता।  ऐसे में दिल्ली और एनसीआर के सबसे प्रतिष्ठि शिक्षण संस्थानों में शुमार वंदना इंटरनेशनल स्कूल की यह पहल सचमुच प्रशंसनीय है। इस संस्कृत महोत्सव में पहुंचे प्रमुख अतिथियों का स्वागत भी परम्परागत तरीके से हो रहा था।  मच संचालन  के साथ साथ ज्यादातर लोगों का सम्बोधन संस्कृत में हो रहा था । इस मौके पर मंच के सामने वे छोटे-छोटे बच्चे मौजूद थे जो संस्कृत के स्टूडेंट भी हैं। स्कूल प्रबंधन का मानना है की भविष्य में ऐसे प्रयास जारी रहेंगे। मंच पर बैठे प्रमुख लोग यह मान रहे थे की देश का विकास संस्कृति के विकास से संभव है और संस्कृति का  विकास  संस्कृत से ही संभव है । नासा ने भी किसका  लोहा माना है। यह  धर्म और कर्मकांड की भाषा नहीं, बल्कि किसी भी देश की कामयाबी का मूलमंत्र भी है।

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