दिव्यांग जिसे समाज अपाहिज और पागल समझता हैं असल में वो लोग पागल और अपाहिज नहीं बल्कि दिव्य अंगों के साथ जन्म लेते हैं जो हमारे थोडे से स्नेह के साथ अपने अंगों का भली भांति स्तेमाल कर सकते है इसी बात को समझाने के लिए दिल्ली के सुन्दर लाल जैन अस्पताल में नोटरी कल्ब ऑफ दिल्ली अपटॉउन द्वारा दिव्यांग दा ट्रुली स्पेशल पिपल प्रोग्राम का आयोजन किया गया जिसमें दिव्यांग बच्चों के लिए काम करने वाले एनजीओ, डॉक्टरों , और समाज सेवीओं ने शिरकत की और बताया केसे दिव्यांग बच्चे किसी से भी किसी भी तरह कम नहीं है इस मौके पर एक दिव्यांग बच्ची नसीबा भी मौजुद थी जिसके हाथ और पैर पुरी तरह से विकसित नहीं होने के कारण उसके परिवार और समाज ने उसे ठुकरा दिया लेकिन नसीबा का नसीब भी अपने नाम की ही तरहा तेज़ निकला नसीबा ने कडे परिश्रम से दिखा दिया की वो भी किसी से किसी भी तरह कम नहीं है नसीबा हरियाणा की स्टेट लेवल व्हील चेयर रनर है और नसीबा पढ लिख कर एक टिचर बनना चाहती है नसीबा सभी दिव्यांगो के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत हैं इस प्रोग्राम में मंच पर उपस्थित सभी गणमाननिय लोंगों ने बताया की कैसे हम दिव्यांग बच्चों का सहारा बन सकते हैं इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोग दिव्यांगों के होंसले को देख कर काफि खुश दिख रहे थे लेकिन इस प्रोग्राम से लोग कितना समझ पाते है ये तो वक्त ही बता पाएगा लेकिन दिव्यांग हमारे समाज का एक अभिंन अंग है ये बात हम सबको समझना जरुरी है
दिव्यांद नसीबा बनी लोगों के आकर्षण का केंद्र
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