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दिल्ली-अंशुल त्यागी
दिल्ली के सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था चरमरा गई है। अस्पताल के बैड पर रखी चादर पर चलते है कॉकरोच ,अस्पताल परिसर में घुमते है कुत्ते सबसे अहम और सबसे निंदनीय मरीजों की हालत एक बैड पर दो मरीज चीजें सरकारी अस्पतालों की हकीकत को बयां कर रही हैं। दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में मधुबाला नाम की महिला के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसे सोचकर भी किसी व्यक्ति की रूह कांप जाए। महिला के मुताबिक 9वें महीने में ही दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही से उसका बच्चा गर्भ में ही बेजान हो गय। इसी कहानी के बाद इन सरकारी अस्पतालों की इस हालत को सुधारने के लिए दिल्ली के एक वकील ने शुरूआत की और उसकी शुरूआत कामयाबी की ओर कदम रखती हुई भी नजर आ रही है लेकिन प्रशांत मनचंदा ने अस्पतालों के खिलाफ पीआईएल क्यों डाली इसकी वजह बेहद चौंकाने वाली है। महिला ने हिम्मत न तोड़ते हुए प्रशांत से मुलाकात की और फिर प्रशांत ने हाईकोर्ट से अपील की जिसके बाद हाइकोर्ट ने दिल्ली के पांच सबसे बड़े अस्पतालों को अपनी बदहाली की तस्वीर की रिपोर्ट 4 हफ्तों के अंदर सौंपने की बात कहते हुए एक नोटिस भेज दिया। सरकारी अस्पतालों के खिलाफ प्रशांत मनचंदा का उठाया गया ये कदम आम जनता के लिए भी मील का पत्थर साबित हो सकता है। अब इंतजार है तो केवल 4 हफ्तों का जिसके बाद दिल्ली के पांच बड़े अस्पतालों की बदहाली की तस्वीर की वजह आप सबके सामने होगी और फिर सरकार से सवाल किया जाएगा कि आखिर लोग कैसे अपनी जिंदगी बचाने के लिए इन सरकारी अस्पतालों का रूख करें।