सफर 2017, अंशुल त्यागी – वर्ष 2017 में देश की उच्च अदालत से लेकर कई अदालतों ने बड़े फैसले सुनाए जिन्होंने कई जिंदगियों के लिए बड़ा कदम उठाया। कोर्ट के इन फैसलों के जरिए ये जाना जा सकता है कि कोर्ट की छवि पर क्या असर पड़ा है। आइये, साल के अंत से शुरूआत तक जानते हैं, इस साल कोर्ट द्वारा सुनाए गए कई अहम फैसले
23 दिसंबर, 2017: चारा घोटाले में लालू यादव दोषी करार
बिहार के चारा घोटाला मामले से जुड़े एक और मामले में लालू प्रसाद यादव को दोषी ठहराया गया है। यह फैसला रांची की विशेष सीबीआई कोर्ट ने सुनाया। यह मामला देवघर ट्रेजरी से 97 लाख रुपए की अवैध निकासी से जुड़ा है। इसमें लालू प्रसाद यादव समेत 15 आरोपियों को दोषी करार दिया गया जबकि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र समेत 7 आरोपियों को बरी कर दिया गया। अदालत 3 जनवरी को लालू यादव को सजा सुनाएगी। कोर्ट में दोषी करार दिए जाने के तुरंत बाद लालू को रांची के बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल ले जाया गया।
20 दिसंबर, 2017: इंडियाज मोस्ट वांटेड शो के एंकर को पत्नी की हत्या के जुर्म में उम्रकैद
इंडियाज मोस्ट वांटेड शो के एंकर को दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने 17 साल बाद पत्नी अंजू इलियासी की हत्या का दोषी माना। यह मामला पिछले 17 साल से अदालत में लंबित था। इलियासी को दोषी ठहराए जाने के बाद उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई। अदालत ने कहा कि अभियोजन द्वारा पेश साक्ष्यों से स्पष्ट है कि अंजू के शरीर पर चाकू से कई वार किए गए थे। इन गहरे जख्मों की वजह से ही उसकी उपचार के दौरान मौत हुई।
21 दिसंबर, 2017: 2 जी मामले में सभी आरोपी बरी
टू जी घोटाले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट स्थित विशेष सीबीआई कोर्ट ने पूर्व दूर संचार मंत्री ए राजा और डीएमके सांसद कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों के समर्थन में पुख्ता सबूत नहीं पेश कर सका और आरोप सिद्ध करने में नाकाम रहा। कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड और ऐसा कोई सबूत नही है जो आरोपियों के अपराध को किसी भी तरह से साबित करता हो।
1 दिसंबर, 2017: जज घूस मामला, कहा- प्रधान न्यायाधीश ही ‘रोस्टर के मास्टर हैं
शीर्ष अदालत के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश जे चेलामेश्वर द्वारा प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के प्रशासनिक कार्यों में अतिक्रमण का मुद्दा न्यायाधीशों के बीच उठ गया। न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने एक मामले की सुनवाई के लिये पीठ गठित करने का आदेश उस समय दिया था जब प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ अन्य मामलों की सुनवाई कर रही थी।इस घटना के बाद पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ गठित हुई जिसने न्यायमूर्ति चेलामेश्वर के निर्णय को गलत करार देते हुये कहा कि प्रधान न्यायाधीश ही ‘रोस्टर के मास्टर हैं।’ यह मसला सुर्खियों में छाया रहा क्योंकि एक सामाजिक कार्यकर्ता वकील और एक गैर सरकारी संगठन ने एक मेडिकल कालेज के मामले में अपने पक्ष में आदेश प्राप्त करने के लिये न्यायाधीशों के नाम पर रिश्वत लेने का मसला उठाया।
27 नवंबर, 2017: केरल लव जिहाद केस, ISIS से जुड़ा था शादी करने वाला व्यक्ति
इस दौरान केरल में एक महिला के जबरन धर्मान्तरण के मसले को ‘लव जिहाद’ से जोड़े जाने के मामले में केन्द्र एक विवाद में पड़ा। इस मामले में न्यायालय में राष्ट्रीय जांच एजेन्सी ने आरोप लगाया कि 25 वर्षीय महिला का विवाह इस अवधारणा का बेतरीन नमूना है। उसका कहना था कि इस युवती से शादी करने वाला व्यक्ति कथित रूप से आईएसआईएस समूह से जुड़ा है।
12 अक्टूबर, 2017: आरुषि-हेमराज हत्याकांड में तलवार दंपती बरी
देश के चर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरुषि के माता-पिता नूपुर तलवार और राजेश तलवार को सभी आरोपों से बरी कर दिया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दोनों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए क्योंकि निचली अदालत का फैसला ठोस सबूतों पर नहीं बल्कि हालात से उपजे सबूतों के आधार पर था।
11 अक्टूबर, 2017: नाबालिग पत्नी से संबंध बनाना होगा बलात्कार के समान
सुप्रीम कोर्ट ने 18 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने को बलात्कार की श्रेणी में रखने की बात कही, इसके साथ शर्त यह है कि नाबालिग पत्नी को एक साल के भीतर इसकी शिकायत करनी होगी। इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की तमाम दलीलों को ठुकराया। कोर्ट ने कहा कि संसद ने ही कानून बनाया कि 18 साल से कम उम्र की बच्ची न तो कानूनन शादी कर सकती है न ही सेक्स के लिए सहमति दे सकती है। संसद ने ही कानून के जरिये बाल विवाह को अपराध बनाया तो ऐसे में अगर किसी बच्ची का बाल विवाह हो जाए और पति जबरन सेक्स करे तो वो अपराध क्यों नहीं? ये बिलकुल बेतुका और असंवैधानिक है।
9 अक्टूबर, 2017: पटाखों पर लगी रोक
दिल्ली एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में दिवाली से ठीक पहले पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सांस लेने का अधिकार सबको है। दीवाली के मौके पर होने वाली आतिशबाजी की वजह से राजधानी और एनसीआर के अन्य शहरों में प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ जाता है। कोर्ट ने सारे स्थायी और अस्थायी लाइसेंस तत्काल प्रभाव निलंबित कर दिये। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये बैन 1 नवंबर 2017 तक बरकरार रहेगा।
28 अगस्त, 2017: राम रहीम को सजा का एलान
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को अगस्त में रेप के आरोप में सजा सुनाई गई। CBI की विशेष अदालत ने रेप के दो मामलों में 10-10 साल की सजा सुनाई। इसके अलावा कोर्ट ने डेरा प्रमुख पर 30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। इसमें से दोनों पीड़िताओं को 14-14 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।
24 अगस्त, 2017: निजता का अधिकार, आधार का मसला
नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने निजता के अधिकार को संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों के तहत इसे अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार और व्यक्तित स्वतंत्रता का हिस्सा करार दिया। आधार के मसले में निजता के अधिकार का सवाल उठने पर इस संविधान पीठ ने यह व्यवस्था दी। हालांकि अब पांच सदस्यीय संविधान पीठ यह निर्णय करेगी कि क्या आधार कार्ड से निजता के अधिकार का हनन होता है। पीठ ने यह भी साफ किया है कि विभिन्न सेवाओं और कल्याणकारी योजनाओं को आधार से जोड़ने की अनिवार्यता 31 मार्च, 2018 तक लागू नहीं की जायेगी।
22 अगस्त, 2017: तीन तलाक देना होगा गैरकानूनी
पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मुस्लिम समाज में 1400 साल से चली आ रही एक बार में तीन तलाक की प्रथा को पवित्र कुरान के मूल सिद्धांत और शरियत के खिलाफ घोषित कर दिया। इस पर संसद में बिल पास करने के लिए बहस चल रही है, जिसमें 3 साल की सजा का प्रावधान किया गया है।
9 मई, 2017: जस्टिस कर्णन को सुनाई छह महीने जेल की सजा
न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार शीर्ष अदालत के सात वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीश सी एस कर्णन को अवमानना का दोषी ठहराते हुये उन्हें छह महीने की सजा सुनाई। न्यायमूर्ति कर्णन ने अनेक पीठासीन और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों पर गंभीर आरोप लगाये थे।
5 मई, 2017: निर्भया केस में फांसी की सजा बरकरार रखी गई
पूरे देश को झकझोर देने वाले निर्भया गैंगरेप केस (16 दिसंबर 2012) में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश की फांसी की सजा को बरकरार रखा। चारों दोषियों ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। कोर्ट ने माना कि दोषियों को पता है कि उन्होंने कितनी वहशियाना हरकत की थी। अदालत ने कहा कि इस वारदात की वजह से देश में ‘शॉक की सूनामी’ आ गई थी। दिल्ली में साकेत स्थित फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इन चारों को गैंगरेप और हत्या के लिए दोषी करार देते हुए 13 सितंबर, 2013 को फांसी की सजा सुनाई थी और कोर्ट ने मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर माना था। इसके बाद हाईकोर्ट ने भी इनकी फांसी की सजा को बरकरार रखी थी।
19 अप्रैल, 2017: बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 13 नेताओं पर चलेगा मुकदमा
न्यायालय ने 25 साल पहले अयोध्या में विवादित ढांचा गिराये जाने और विवादित भूमि के मालिकाना हक से संबंधित अपीलों पर सुनवाई की। न्यायालय ने विवादित ढांचा गिराये जाने के मामले में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और अन्य के खिलाफ आपराधिक मुकदमे की रोजाना सुनवाई का जहां मार्ग साफ किया, वहीं मालिकाना हक से संबंधित अपीलों पर 2019 के आम चुनाव के बाद सुनवाई करने का सुन्नी वक्फ बोर्ड जैसी संस्थाओं का अनुरोध ठुकरा दिया।
29 मार्च 2017: देश भर में 1 अप्रैल से BS-3 गाड़ियों की बिक्री पर लगी रोक
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण से चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती करते हुये कहा कि व्यावसायिक हितों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण नागरिकों का स्वास्थ्य है। न्यायालय ने इसके साथ ही उन वाहनों के निर्माण और बिक्री पर एक अप्रैल से प्रतिबंध लगा दिया जो बीएस-चार के मानकों के अनुरूप नहीं हैं।
14 फरवरी, 2017: शशिकला पर फैसला, चार साल की जेल
न्यायालय के फैसले के बाद आय से अधिक संपत्ति के मामले में शशिकला बेंगुलूरू की जेल में चार साल की सजा काट रही हैं इस साल तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे जयललिता के भ्रष्टाचार के मामले में सुनाये गये फैसले में उनकी निकट सहयोगी शशिकला नटराजन को सजा सुनायी गयी। इस फैसले ने राज्य की राजनीति में जबर्दस्त उथल पुथल मचा दी और वर्चस्व को लेकर छिड़ी लड़ाई में अन्नाद्रमुक में दो फाड़ हो गयी।
11 जनवरी, 2017: बिरला-सहारा डायरी केस में पीएम मोदी समेत अन्य नेताओं के खिलाफ जांच नहीं होगी
वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी उस समय बड़ी राहत मिली जब सुप्रीम कोर्ट ने बिड़ला-सहारा डायरी प्रकरण की स्वतंत्र जांच के लिये दायर याचिका खारिज कर दी। इस मामले में आरोप था कि डायरी में राजनीतिक व्यक्तियों को कथित रूप से दी गयी रिश्वत का विवरण है।
2 जनवरी, 2017: धर्म के नाम पर वोट मांगना गैरकानूनी
सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में तीन प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, जगदीश सिंह खेहड और दीपक मिश्रा को न्यायपालिका के मुखिया के रूप में देखा, ने चुनाव के दौरान धर्म और जाति के इस्तेमाल को भ्रष्ट आचरण घोषित करते हुये महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।
2 जनवरी, 2017: सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से अनुराग ठाकुर को हटाया
न्यायालय ने 2016 की तरह ही इस साल भी बीसीसीआई के कामकाज को लेकर सख्त रुख अपनाये रखा और इसके सुधारों की राह में अड़ंगा डाल रहे बीसीसीआई के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को पद से भी हटाया।