तमाम अटकलों के बीच दिल्ली के सत्तारूढ़ पार्टी आम आदमी पार्टी ने संसद के ऊपरी सदन राज्य सभा के लिए अपने तीनो उम्मीदवार तय कर ही दिए –इनमें पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह को उम्मीदों के अनुरूप जगह मिली है वहीँ वैश्य समाज से चुने गए दो नामों नवीन गुप्ता और शुशील गुप्ता पार्टी में नए चहरे है —इन नामो पर बेशक पार्टी के भीतर और बहार इन दोनों नामो को बाहरी बताकर बगावत के सूरे सुनायी दे रहे हो लेकिन पार्टी के ही वरिष्ठ नेता इसे पार्टी की सोची समझती रणनीति बता रहे है।
आईये हम आपको बताते है ” आप ” के इन नामो को उम्मीदवार बनाये जाने के पीछे पार्टी क्या उम्मीद कर रही है। शुशील गुप्ता और नवीन गुप्ता दोनों को राज्य सभा भेजकर ” आप ” एक तीर से कई शिकार करना चाहते है। इन दोनों को राज्य सभा भेजकर दिल्ली अग्रवाल समाज का झुकाव “आप ” की तरफ करना चाहती है। दोनों समाज में के बड़ा नाम है। दिल्ली के राजनीती और अर्थ व्यवस्था में अग्रवाल समाज नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। पार्टी उम्मीद कर रही है की इससे पार्टी को नोट और वोट दोनों में इजाफा होगा।
ऐसा नहीं है की आम आदमी पार्टी की पोलिटिकल अफेयर कमिटी यह दोनों खूबियां देखी है। आप लगातार कोशिस कर रही थी की पार्टी में अच्छे और समझदार नए लोग जुड़ें। राज्य सभा में ऐसे लोग जाएं जो अपने अपने विषय के विशेषज्ञ हो। लाख कोशिशों के बावजूद भी पार्टी ने जिन भी लोगों को अप्रोच किया उन्होंने स्वीकार नहीं किया। वजह बीजेपी सरकार और आम आदमी पार्टी के बीच मची महाभारत है।
क्या उम्मीद है इन उम्मीदवारों से — ( तीनो की फोटो लगाएं )
अब बात करते है सुशील गुप्ता की—-
सुशील गुप्ता दिल्ली के बड़े कारोबारी है। कुछ समय पहले तक शुशील गुप्ता कांग्रेस में थे। शुशील गुप्ता के दिल्ली और हरियाणा में 25 से 30 स्कूल , कॉलेज और अस्पताल है। शुशील गुप्ता अग्रवाल समाज में के बड़ा नाम है। कारोबार, स्कूल, कॉलेज और अस्पताल संचालक होने के नाते इनके पास अपना वोट बैंक भी है –पार्टी का जनाधार बनाने और पार्टी को फंड बढ़ाने पार्टी को मदद मिलेगी। शुशील गुप्ता का हरियाणा के वैश्य समाज में भी अच्छा नेटवर्क बताया जाता है। शुशील गुप्ता से पार्टी को हरियाणा में अपना जनाधार बढ़ने मदद मिलेगी।
नवीन गुप्ता —
नवीन गुप्ता पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और चार्टर्ड अकाउंटेंट की सबसे बड़ी संस्था इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट हैं.. सूत्रों के मुताबिक नवीन गुप्ता बीते करीब डेढ़ साल से आम आदमी पार्टी का आयकर विभाग में केस संभाल रहे हैं। आम आदमी पार्टी फिलहाल फंडिंग में गड़बड़ी के आरोप में आयकर विभाग का आदेश झेल रही है, जिसमें पार्टी को 30 करोड़ रुपये टैक्स देने का आदेश है. पार्टी के आला सूत्र बताते हैं कि किसी भी पार्टी को बड़े वकील और चार्टर्ड अकाउंटेंट की ज़रूरत होती है इसलिए पार्टी ने नवीन गुप्ता का नाम तय किया है.
नवीन चार्टर्ड अकाउंटेंट की सबसे बड़ी संस्था इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया के पदाधिकारी होने के नाते देशभर के कारोबारियों से जुड़े है और उन्हें पार्टी से जोड़ने की काबिलियत रखतें है। पार्टी सूत्रों का कहना है की इनकी काबिलियत की तारीफ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली तक कर चुकें है। इन्हे सब को देखते हुए पार्टी को यह नाम भी सबसे सटीक लगा।
संजय सिंह
पार्टी के नेता संजय सिंह को राज्य सभा उम्मीदवार बनाये जाने को लेकर पार्टी में लगभग एक राय बन चुकी थी। संजय सिंह यूपी के प्रभारी है और अच्छे वक्ता राजनीती के जानकार भी है। राष्ट्रिय स्तर पर पार्टी में पूरी पकड़ भी है। संजय सिंह का राज्य सभा सदस्य बनाना यूपी में भी पार्टी के विस्तार में सहायक होगा।
पार्टी की पोलिटिकल अफेयर कमिटी पर इन्ही सब पर गहन मंथन के बाद आम राय बनी। दिल्ली के कुमार विश्वाश और पत्रकार से नेता बने आशुतोष की भी राज्य सभा जाने की चर्चाएं थी। ये दोनों ही लोकसभा चुनाव लड़ चुकें है और फिलहाल पार्टी में प्रवक्ता पद के साथ साथ अन्य जिम्मेदारियां भी संभाल रहे है।
दिग्गज पेशेवर भी तैयार नहीं थे आप से जुड़ने के लिए
आम आदमी पार्टी चाहती थी की राज्य सभा में दिग्गज पेशेवर जाएं ताकि पार्टी का की निति और न्याय संगत निर्णय पर राज्य सभा में प्रभावी धंड़ग से अपनी बात कह सकें। इसके लिए पार्टी ने भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को पार्टी उम्मीदवार बनाने की पेशकश की लेकिन उन्हों इंकार कर दिया। बताया जाता है कि उनके प्रस्ताव पर पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने भी इनकार कर दिया था। केजरीवाल ने इंफोसिस के संस्थापक एनएम नारायणमूर्ति, नोबेल पुरस्कार विजेता व सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी और उद्योगपति सुनील मुंजाल से भी संपर्क किया, लेकिन सभी ने मना कर दिया। वजह , केंद्र और केजरीवाल के बीच लगातार चल रहे टकराव है। यही वजह है की आप ने गहन मंथन के बाद 15 जनवरी को होने वाले राज्य सभा के लिए उन्हें उम्मीदवार बनाया है। दिल्ली में आप के विधायकों की संख्या देखते हुए इनका चुना जाना भी लगभग तय है।