2018 में चैत्र नवरात्र 18 मार्च से लेकर 26मार्च तक चलेगा । शास्त्रों के अनुसार, अश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्र का व्रत और दुर्गा पूजन किया जाता है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। आइए आपको पूजन और कलश स्थापना की विधि बता देते हैं।
राहुकाल में न करें कलश स्थापना
नवरात्र के पहले दिन मंगल कामना के लिए कलश की स्थापना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करने से पूजन सफल होता है और अच्छे फल की प्राप्ति होती है। राहूकाल के समय कलश स्थापना नहीं करनी चाहिए। पंचांग में इसके लिए जो शुभ मुहूर्त हो उसका ध्यान रखें।
कलश स्थापना से पहले करें ये काम
पहले ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा । यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥ मंत्र से खुद को शुद्ध करें। इसके बाद सीधे हाथ में अक्षत, फूल और जल लेकर पूजन का संकल्प करें।
कलश स्थापना की विधि
माता की तस्वीर के सामने कलश को मिट्टी के ऊपर रखकर हाथ में फूल और गंगाजल लेकर वरुण देव का ध्यान करें। कलश में सर्वऔषधी और पंचरत्न डाल लें। कलश के नीचे मिट्टी में सप्तधान्य और सप्तमृतिका मिला लें। आम के पत्ते कलश में रखें। कलश के ऊपर एक बरतन में अनाज भरकर इसके ऊपर एक दीपक जला लें। कलश में पंचपल्लव डाल लें और इसके ऊपर पानी वाला नारियल रखें जिस पर लाल रंग का कपड़ा लपेट लें । फिर कलश के नीचे मिट्टी में जौ के दानें फैलाएं। इसके बाद देवी का ध्यान कर इस मंत्र का उच्चारण करें- खडगं चक्र गदेषु चाप परिघांछूलं भुशुण्डीं शिर:, शंखं सन्दधतीं करैस्त्रि नयनां सर्वांग भूषावृताम। नीलाश्म द्युतिमास्य पाद दशकां सेवे महाकालिकाम, यामस्तीत स्वपिते हरो कमलजो हन्तुं मधुं कैटभम॥