देश का भविष्य कहें जाने वाले बच्चे जब नशे की ओर उन्मुख हो रहे हो तो आप अनुमान लगा सकते है कि देश और समाज के अस्तित्व पर किस प्रकार का प्रश्नचिह्न लगना स्वभाविक हो जाता है। निरंतर बढ़ रहे राजधानी दिल्ली में नशे के कारोबार ने युवाओं के साथ बच्चों को भी शिकार बना रखा है और यह भविष्य के भारत के लिए खतरे का संकेत है।
आखिर क्या होता है ये नशा ?
यह मानव समाज में ऐसी प्रवृति या प्रक्रिया होती है जिसमें व्यक्ति नशीले पदार्थ के सेवन का आदी हो जाता है और अपना दैनिक जीवन चलाने हेतु उस नशीले पदार्थ पर निर्भर रहता है। ये एक ऐसी कुप्रवृति है कि जिसमें व्यक्ति के अंतर्मन में नशीले पदार्थ के निरंतर सेवन की हानिकारक प्रवृति उत्पन्न होती है।
आखिर आपने कभी सोचा कि क्यों करते है बच्चे नशा ?
जैसे कोई नशीले पदार्थ शराब, सिगरेट, भांग इत्यादि के सेवन में होता है, बच्चे पहले कौतूहल में, मित्र समूह के दबाव में, पढ़ाई लिखाई और धावक दौङ प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन करने की आकांक्षा में, या अपने तनावों और संकटों को भुलाने के लिए नशा लेना शुरू करते हैं। धीरे-धीरे, उस ड्रग के सेवन से, दिमाग में आए बदलाव, बच्चे में उस नशे को और लेने की इच्छा जगा सकते हैं और उसके सेवन की मात्रा पर उनका नियंत्रण नहीं रहता। फिर चाह कर भी व्यक्ति नशा नहीं छोड़ पाता है क्योंकि ऐसा करने के लिए जिस इच्छाशक्ति और सामर्थ्य की ज़रूरत होती है और वो उसे गंवा बैठता है
- घर के संस्कारों और सकारात्मक वातावरण का अभाव के कारण
- शिक्षा और ज्ञान के आभाव के कारण
- बच्चे के मित्र समूह का प्रभाव उसकी प्रवृति और भाषा में देखने को मिलता है।
- आसपास के माहौल का प्रभाव इत्यादि बच्चों के नशे के कारण बन सकते है।
- बच्चे अपने तनावों और संकटों को भुलाने के लिए नश का सहारा लेते है।
नशे से कैसे आ सकता है देश का अस्तित्व खतरे में……..
बच्चों को देश के भविष्य के रूप में देखा जाता है परंतु अब देश का भविष्य खतरे में है। और अगर इसी तरह से देश की राजधानी दिल्ली में ही नशे का व्यापार फलता-फूलता जा रहा है। तो भारत के अन्य राज्यों की स्थिति का अनुमान लगा ही सकते है। अत: ऐसी समस्याओं को सरकार गंभीरता से लें साथ ही सरकार को ऐसे मामलों में पुलिस व समाज के सहयोग से हस्तक्षेप करें अन्यथा देश और समाज का भविष्य पूर्णत: खोखला हो जाएगा इतना ही नहीं देश का अस्तित्व में भी आ सकता है।