जी हां आपने अब तक कुछ ही तरह के गेहूं और उनकी वैरायटी ओ के बारे में सुना होगा लेकिन जो हम आपको दिखाने हैं वह बेहद ही अलग है क्योंकि अमूमन पीला और लाल गेहूं देखने में मिलता है लेकिन इस बार मध्य प्रदेश में पहली बार इंदौर जिले के देपालपुर के ग्राम शाहपुरा में एक किसान ने अपने खेत में काले गेहूं की फसल लगाई यह काला गेहूं आम गेहूं से बहुत अलग है और जिस तरह उसका नाम है उसी तरह दिखने में भी काला है इतना ही नहीं इस गेहूं की जो फसल होगी और जो फल के गुच्छे होंगे जिसे आम भाषा में क्या कहा जाता है वह भी काली होगी और सबसे बड़ी बात तो यह होगी कि प्रदेश में पहली बार इस काले गेहूं की खेती होगी किसान की अगर मानें तो यह गेहूं जिस तरह दिखने में अलग है उसी तरह इसके फायदे भी अलग है क्योंकि यह गेहूं मानव जीवन के लिए बेहद गुणकारी बताया जा रहा है किसान के अनुसार उन्हें बताया गया है कि यह गेहूं रोग प्रतिरोधक क्षमता मैं बेहद उपयोगी है इससे बड़े से बड़े असाध्य रोग जैसे कैंसर व अन्य कई बड़ी बीमारियों में दवाई के रूप में उपयोग लिया जा सकता है किसान का कहना है कि वह कुछ अलग करने की कोशिश करते हैं उन्हें जब भी पता लगता है कृषक जगत पत्रिकाओं से या कृषि से जुड़े समाचार पत्रों से की कोई नई खेती या नया बीज या नई तकनीकी खेती के लिए आई है तो फिर चाहे देश हो या विदेश वे समय और पैसा नहीं देखते वे उस तकनीक को जानने या उस खेती के लिए बीज को लेने पहुंच जाते हैं और उस खेती को करते हैं इससे पहले भी यह किसान अपने खेत में एक नई किस्म का गेहूं जिसे तेजस गेहूं कहा जाता है उसकी भी खेती कर चुके हैं जो कि क्षेत्र में तेजस गेहूं की पहली खेती बताई जा रही है शाहपुरा केस किसान को जिला प्रशासन के साथ-साथ प्रदेश में भी कई बार सम्मानित भी किया जा चुका हैसात साल की रिसर्च के बाद नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलाॅजी इंस्टीट्यूट (एनएबीआई) मोहाली ने ब्लैक व्हीट का पेटेंट करा लिया है। नाम दिया है ‘नाबी एमजी)। काले, नीले और जामुनी रंग में मिलने वाली ये गेहूं आम गेहूं से कहीं ज्यादा पौष्टिक है।