मतलब निकल गया तो हमे पहचानते नहीं, दिल्ली भाजपा में कभी दलित चेहरा रहे उदित राज भी इन दिनों शायद यही गाना गुनगुना रहे होंगे, तभी मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वह पार्टी नेतृत्व से पूछ रहे हैं कि हमसे क्या भूल हुई, जो ये सजा हमको मिली। चुनाव के इस व्यस्ततम समय मे आलाकमान को समय की दिक्कत न हो इसलिए उन्होंने पांच ऑप्शन भी दिए हैं
दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया हुआ महसूस कर रहे उदित ने पार्टी को इसका परिणाम भुगतने की चेतावनी देते हुए कहा है कि उनके टिकट कटने से नाराज देश भर में फैले उनके समर्थक भी पार्टी से नाता तोड़ लेंगे। लेकिन सूबे के ही नेता उदित की इस धमकी को लुटे पिटे आशिक की धमकी से ज्यादा भाव नहीं दे रहे हैं।
ये साफ है कि दलित राजनीति के डॉक्टर को चौकीदारी तो रास नहीं आई। जिसकी वजह से वह पार्टी से बोरिया बिस्तर बांधकर नई जगह डॉक्टरी करने का मन बना रहे हैं लेकिन देखने वाली बात ये होगी कि क्या अब दलित राजनीति को डॉक्टर साहब की डॉक्टरी पसंद आएगी या नहीं।