जेब में नहीं दाने और अम्मा चली भुनाने, ये कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी, उत्तरी पश्चिमी दिल्ली के अशोक विहार फेज 2 इलाके में उत्तरी दिल्ली नगर निगम भी कुछ ऐसा ही कर रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यहाँ पानी नहीं है पीने और पिलाने को, और एमसीडी चली है धुलाने को। क्या है पूरा मामला, देखिए दिल्ली दर्पण टीवी की इस खास रिपोर्ट में
उत्तरी दिल्ली नगर निगम इन दिनों अशोक विहार फेज दो इलाके में एक अजीब सी कशमश में फंस गई है। दरअसल यहां से एक रेलवे लाइन गुजरती है। इस रेलवे लाइन के एक तरफ फेज दो की रिहायसी कालोनियां हैं तो दूसरी तरफ झुग्गियां। बताने की जरुरत नहीं कि इन झुग्गियों की वजह से यहाँ ओपन डेफिकेशन भी खूब होता है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने इस ओपन डेफिकेशन को रोकने के लिए टॉयलेट ब्लॉक बनवाना शुरू किया। काम तो अच्छा था और इससे कालोनी के लोगों को भी फायदा था, लेकिन मामला पानी पर जाकर अटक गया। नगर निगम इस टॉयलेट ब्लॉक के लिए इन कालोनियों के लिए बने बोरिंग से ही पानी लेना चाह रहा है। लेकिन कालोनी वालों को इस पर आपत्ति है।
इन लोगों का कहना है कि इसके अलावा नगर निगम यहां झुग्गी वालों के लिए कुछ फ़्लैट बना रहा है, उसके भी मल जल के शोधन की कोई व्यस्था नहीं है, जिसकी वजह से यह खुले में बहता रहता है। इससे स्वच्छता बढ़ने के बजाय और कम हो रही है। लोगों ने इन समस्याओं के निपटारे के लिए स्थानीय विधायक राजेश गुप्ता को बुलाया। गुप्ता जी ने पानी के लिए एमसीडी को अलग बोरिंग करने की सलाह दी, लेकिन फ्लैटों से निकलने वाले मल जल की समस्या पर दार्शनिक हो गए।