दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियों में आम आदमी और भाजपा से पिछड़ने के बाद सोमवार को सत्ता के अर्श से फर्श पर पहुंची कॉंग्रेस भी मैदान इ जंग में कूद पड़ी। बिजली और पानी के मुद्दे पर 15 साल की सत्ता गंवाने के बाद सूबे में खाता खोलने के लिए कॉंग्रेस अब उन्ही मुद्दों हथियार बना रही है। सूबे के सभी 70 विधानसभाओं में टेंट लगाकर धरने का आयोजन किया, लेकिन जनता के मुद्दे होने के बाद भी इन प्रदर्शनों में जिस चीज की सबसे ज्यादा कमी खली वो थी जनता। पार्टी ने हर जगह विशाल प्रदर्शन का बैनर लगवाया, मटके फोड़े लेकिन जनता एक बार फिर भाव नहीं दिया। हर मंच पर चुनिंदा कार्यकर्त्ता और पार्टी पदाधिकारी ही नजर आए। इस धरने की खास बात यह रही कि चुनाव हारने के बाद भी नेताओं के जोश में कमी नहीं आई है।
कॉंग्रेस ने बिजली और पानी के जिस मुद्दे को अपना हथियार बनाया है वह कोई नया नहीं है , भाजपा इसे लम्बे समय से उठाते आई है , लेकिन इसे जनता तक नहीं पहुंचा पाई है, ये कॉंग्रेस के लिए एक अच्छा संकेत है, क्योंकि आबादी का एक बड़ा हिस्सा इसे कुछ ज्यादा ही परेशान है ।
मौका भी है दस्तूर भी है और कॉंग्रेस के पास अनुभव भी, ऐसे में उम्मीद है की इन मुद्दों के जरिए कॉंग्रेस विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच की सीधी लड़ाई को त्रिकोणीय बना क्र दिल्ली की जनता को तीसरा विकल्प भी दे सके।