इसे लोकसभा चुनाव का साइड इफेक्ट कहें या आम आदमी की किस्मत कि गरीबों की सरकार के आते ही राशन के दामों में आग लग गई। खाने पीने की चीजों के दाम पिछले एक महीने में दस से 25 प्रतिशत तक बढ़ गए। दूध अपनी दुधारी से बजट का गला रेत रहा है तो दाल 20 से 30 प्रतिशत बढ़ कर जेब को दांतें दिखा रहा है तो वहीँ तेल की कीमतें रसोई के बजट का तेल निकाल रही हैं, आटा और चीनी की तो बात ही मत कीजिए।
कीमतों में अचानक से आए इस उछाल से सभी सदमे में हैं, अभी सरकार के बम्पर जीत के जश्न का शोर समाप्त भी नहीं हुआ था कि किसी आतंकवादी घटना की तरह से महंगाई ने बड़ा धमाका कर दिया। इससे सबसे ज्यादा परेशान देश की आधी आबादी यानि गृहणियां हैं, जिन्हे समझ ही नहीं आ रहा कि अब वो घरवालों की थाली में प्यार का निवाला परोसे या भविष्य के सुनहरे सपने। क्योंकि रसोई गैस की कीमतें तो चंद सप्ताह पहले ही बढ़ चुकी थी, बाकी ने भी उनका अनुसरण कर स्थिति को बढ़ से बदतर कर दिया।
बीते लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार ने अपने कामयाबी की फेहरिस्त में महंगाई को काबू रखने का भी जिक्र किया था, लेकिन 2.0 की शुरुआत में ही महंगाई की वापसी ने सरकार के लिए बड़ी चुनौती पेश की है, ऐसे में देखने वाली बात होगी की 2.0 इस हमले के जवाब में कब और कौन सा सर्जिकल स्ट्राइक करेगी