एक लड़की ने ख़ुदकुशी कर ली। ख़ुदकुशी करने से पहले सुसाइड नोट भी लिखा और उसमे परेशान करने वालों के नाम भी। लेकिन इसके चार महीने बाद भी पुलिस ने मामले में एफआईआर तक नहीं किया। यह निहायत ही संवेदनहीन मामला बुराड़ी थाना इलाके का है। हाथ जोड़कर न्याय की भीख मांगती इस महिला का नाम किरण लता है, जो बुराड़ी के बंगाली कालोनी के ए ब्लॉक में किराए के माकन में रहती हैं। इनके आँखों से बाह रहे आसुओं की वजह है इनकी 18 वर्षीय बेटी काजल, जिसने पड़ोसियों से परेशान हो कर इसी साल 13 जनवरी को खुद को पंखे से लटका लिया था। ऐसा करने से पहले काजल ने एक सुसाइड नोट भी लिखा, जिसमे पड़ोसियों के नाम के साथ ही उनके द्वारा परेशान किए जाने की बात भी लिखी। लेकिन देश की सबसे हाईटेक मानी जाने वाली दिल्ली पुलिस की करामात तो देखिए कि सुसाइड नोट मिलने के बाद भी आज तक इस मामले में कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई।
किरण की माने तो उनके पड़ोस में राजकमल पटेल और उनका परिवार रहता है। उनके परिवार में ही राजन नाम का एक लड़का भी था, जो किसी वजह से जनवरी में अचानक गायब हो गया। पटेल परिवार को शक था कि राजन की जानकारी किरण के बेटे को है। इसी शक के आधार पर पटेल परिवार ने विधवा किरण और उनके बच्चों को इस कदर परेशान कर दिया कि काजल को मौत जिंदगी से आसान लगने लगी। 13 जनवरी की शाम जब पटेल परिवार जबरन किरण और उसके बेटे को ढूंढने के लिए ले गया तो काजल ने पंखे से लटक कर ख़ुदकुशी कर ली। काजल के फंदे से लटकने के बाद पटेल परिवार ने ही काजल को निचे उतारा और किरण को बिना कुछ बताए अस्पताल ले गए, लेकिन पुलिस को इत्तला नहीं किया।
हद तो यह है कि इस घटना के चार महीने बाद तक इसमें कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई। किरण ने इस बाबत जब जिले के आला अधिकारियों से गुहार लगाई तो उन्होंने सम्बंधित एसएचओ से बात करने को कहा। और जब एसएचओ से बात की उन्होंने राजन के भी नहीं रहने की बात कह करते हुए सब्र करने की नसीहत देने लगे। हर तरफ से निराश हो चुकी किरण को अब एक ही रास्ता नजर आ रहा है, जिस पर उनकी बेटी काजल ने कदम बढ़ाया था। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी की संवेदनहीन हो चुकी खाकी का जमीर जागेगा या न्याय की उम्मीदों की तरह किरण और उसका बेटा भी इस व्यवस्था की फ़ांस में दम तोड़ देंगे ।