Friday, November 8, 2024
spot_img
Homeअपराधदेखिए कहाँ एमएलए ग्राउंड बना मौत का मैदान

देखिए कहाँ एमएलए ग्राउंड बना मौत का मैदान

प्रेम नगर के एमएलए ग्राउंड में डूब कर किशोर की मौत 
सालों भर ग्राउंड में भरता है नाली का गन्दा पानी 
ग्राउंड में सड़ते हैं मृत जानवरों के अवशेष 
एमएलए के टूर्नामेंट के समय ही सुखाया जाता है ग्राउंड 

वीओ  किराड़ी के प्रेम नगर वार्ड में गंदे पानी के तालाब को गौर से देखिए, ये देश की राजधानी दिल्ली है, वही राजधानी जहाँ प्रधानमंत्री भी रहते हैं और दिल्ली विधानसभा के मुख्यमंत्री भी। यकीन नहीं हो रहा होगा आपको,  लेकिन करें सच हमेशा ही चौंका देने वाला होता है। मजेदार ये है कि इस गंदे पानी के तालाब का नाम एमएलए ग्राउंड है।  इसका यह नाम क्यों और कैसे पड़ा, ये हम आपको आगे बताएंगे , लेकिन उससे प[अहले यह बता दें कि कागजों में यह डीडीए की मिलकियत है , उसी डीडीए की जिसके सदस्य तो विधायक होते हैं लेकिन सत्ता की चाभी केंद्र सरकार के पास होने का रोना रोया जाता है। इसी मैदान ने मंगलवार को पड़ोस में रहने वाले 14 वर्षीय युवक की जान ले ली। 

आइए अब हम आपको बताते हैं, इस ग्राउंड के एमएलए ग्राउंड होने की कहानी। स्थानीय लोग बताते हैं कि इस विधानसभा के भाजपा के पूर्व विधायक अनिल झा ने इलाके के बहुसंख्यक पूर्वांचलियों को जोड़ने के लिए अपने पिता के नाम पर एक क्रिकेट टूर्नामेंटका आयोजन इसी मैदान में शुरू कराया था। यह टूर्नामेंट पहली जनवरी से शुरू होता है।  इसके लिए अनिल झा तब पूरा पानी निकलवा कर मैदान सुखाते हैं। लेकिन टूर्नामेंट के बाद पूरे साल इसमें ऐसे ही गन्दा पानी भरा रहता है।  हद तो यह है कि इस पानी को साफ़ करने के लिए पम्प की व्यवस्था भी है लेकिन वह चलती है तो सिर्फ टूर्नामेंट के आयोजन के तैयारियों के लिए। 

नौजवान बेटे को इस तरह खोने का गम इलाके वालों के लिए तब और बढ़ गया जब स्थानीय वर्तमान विधायक के शहर में न होने की जानकारी मिली तो वहीँ पूर्व विधायक अनिल झा सुचना के बाद भी नहीं आए।  आए तो स्थानीय पार्षद और उत्तरी दिल्ली नगर निगम में नेता विपक्ष सुजीत पंवार, जो समस्या से निजात दिलाने के बजाय खुद ही व्यवस्था से हार कर रोने लगे और स्थानीय लोगों के माध्यम से सड़क पर उतरने की चेतवानी देने लगे। 

इस मैदान की ये हालत तब है जब प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत अभियान को तेज करने का निर्देश दे रहे हैं, मुख्यमंत्री रोजाना लाखों रुपयों से शहर के वर्ल्ड क्लास होने के विज्ञापन वार रहे हैं। गलती चाहे किसी की भी हो लेकिन सच तो ये है कि वसीम के घर का एक चराग बुझ गया, अगर हालत नहीं सुधरे तो और घरों के चराग बुझेंगे, चाहे डूब कर या बीमारी से। देखने वाली बात यह होगी की यह सूरत कब बदलती है।  

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments