कैंसर यानि मौत का दूसरा नाम, नाम सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं और अगर यह बीमारी किसी अपने को हो जाये तो मानो पैरों के निचे से जमीन ही निकल जाती है। कैंसर को झेल चुके परिवार जानते हैं कि यह इंसान के जीवन के साथ ही उनके जीवन भर की कमाई को भी ख़त्म कर देता है। कैंसर का पता अगर शुरुआत में ही चल जाए, तो इस पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। याद रखिये कैंसर के बढ़ने की तीव्रता जितनी कम होगी उसमें उतना ही जल्दी आराम आएगा,इस लिए कैंसर को बढ़ने न दें,कैंसर होने की अवस्था में योग्य चिकित्सक का परामर्श बहुत मायने रखता है। डॉ के पी सिंह दशकों से इसका बेहतर इलाज करते आ रहे हैं
वर्तमान समय में लोगों को तेजी से अपना शिकार बनाने वाली एक और बीमारी है बवासीर। इससे जूझने वाले ही इसका दर्द जानते हैं. लेकिन आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के विशेषज्ञ डॉक्टर के.पी.सिंह मानते हैं कि इसे लेकर समाज में काफी भ्रांतियां हैं। डॉ के पी सिंह का कहना है कि मरीजों के इलाज के दौरान उन्होंने पाया कि ज्यादातर पुरुष व महिलाओं में 50-60 वर्ष के बाद जोड़ों क दर्द, सांस फूलना,साइनस,कब्ज जैसी परेशानियां शुरू हो जाती हैं। लम्बे समय तक कब्ज के कारण बवासीर हो जाता है। उनके पास कई ऐसे मरीज भी आते हैं जिन्होंने बवासीर के लिए 6 से 7 आप्रेशन तक करवा लिए, लेकिन जब उनसे इलाज करवाया तो खुद ही कहने लगे कि अगर पहले आ जाता तो एक भी ऑपरेशन नहीं कराना पड़ता।
डॉ के पी सिंह ने बताया कि करियर के शुरुआत में ही उन्होंने रोगियों को बिना आप्रेशन ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक दवा की खोज शुरू कर दी थी। प्रकृति प्रेम और पौधों की खूबियों की जानकारी की वजह से उनका झुकाव इसी ओर था। उनकी लगन काम आई और वर्षों के अथक परिश्रम के बाद उन्होंने 6 ऐसी दवा तैयार कर लीं, जो सांस,दमा,साइनस,लिकोरिया,वजन और मोटापा कम करने के लिए,मूँह में नए-पुराने छाले (अल्सर)गैस पुरानी कब्ज और जोड़ों में दर्द, और बवासीर(बिना आप्रेशन) के मरीजों को ठीक कर सकती है। इस दवा की गुणवत्ता को देखते हुए वर्ष 2010 में भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग से 6 दवाओं को सरकारी मान्यता मिल चुकी है। लेकिन सबसे बड़ी मान्यता मिली है मरीजों की, जो अब उन्हें भगवान मानने लग गए हैं।
डॉ सिंह बताते हैं कि आर्थिक रूप से पिछड़े मरीजों की सहायता के लिए वह बीते कई वर्षों से प्रत्येक रविवार को सभी प्रकार के कैंसर का निःशुल्क कैम्प लगाते है। जहाँ कैंसर की जाँच, सलाह और दवाई सभी कुछ निःशुल्क दिया जाता है। डॉ सिंह बताते हैं कि इस कैम्प में देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों से भी मरीज आते हैं, इसलिए सुबह 5 बजे ही नंबर के लिए लाइन लगनी शुरू हो जाती है। डॉ सिंह को अब तक उनकी विशिष्ट सेवा के लिए वर्ष 2009 में गोल्ड मैडल , अपने द्वारा बनाई गई औषधि (स्वानुभूत-औषधि) जिसे सरकार भी मान्यता दे चुकी है। उसी औषधि से निमोनिया से ग्रस्त हजारों बच्चों की मदद के लिए दिल्ली गौरव सम्मान और 8 नवम्बर 2016 को अनेकों केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति में डॉ. अम्बेडकर मिशन द्वारा डॉ. अम्बेडकर स्वच्छ भारत स्वपन अवार्ड से नवाजा जा चुका है।