पुलिस ने चेकिंग के दौरान एक स्कूटी जब्त की, मालिक छुड़ाने के लिए जरुरी सभी कागजात ले आया, स्कूटी थाने में खड़ी भी है, लेकिन जिस पुलिसवाले ने इसे जब्त किया, उसने थाने के रजिस्टर में इसे दर्ज नहीं किया, नतीजा थाने में स्कूटी खड़ी होने के बाद भी स्कूटी का मालिक रोज उसे छुड़वाने की आस में पिछले एक महीने से थाने का चक्कर लगा रहा है। मामला सुल्तानपुरी थाने का है।
सुल्तानपुरी थाने के सामने पुलिस से लड़ता यह शख्स फहीम है। फहीम इन पुलिसवालों से इसलिए लड़ रहा है क्योंकि उसे समझ ही नहीं आ रहा है कि सुल्तानपुरी थाने में कानून बड़ा होता है या थाने का कॉन्स्टेबल। इसे समझ नहीं आ रहा है कि एसीपी का लिखित आदेश इस थाने में रद्दी से ज्यादा की औकात नहीं रखता, . इसे समझ नहीं आ रहा है कि थाने के एसएचओ का मौखिक आदेशएक कान से सुनने और दूसरे से निकालने के लिए होता है। क्योंकि करीब महीने भर आरसी की हार्ड कॉपी नहीं होने की वजह से चेकिंग कर रहे कॉन्स्टेबल ने उसकी स्कूटी बंद करनी चाही, तो फहीम ने फ़ौरन आरसी ला कर दिखाने की मुहलत मांगी और ऐसा करके दिखाया भी।
लेकिन इसके बाद भी कॉन्स्टेबल ने स्कूटी जबरन जब्त कर लिया। फहीम एसीपी के लिखित आदेश और सारे कागजात लेकर गया तो पहले तीन दिन बाद आने को कह दिया। तीन दिन बाद जाने पर पुलिस वालों ने स्कूटी उनके पास नहीं आने की बात कह कर टरकाने लगे। इस पर जब फहीम ने जब स्कूटी के थाने में ही होने के वीडिओ एसएचओ को दिखा कर शिकायत की तो कॉन्स्टेबल का कहना था कि स्कूटी उनके रजिस्टर में दर्ज ही नहीं है>
इसलिए उसे दिया नहीं जा सकता। इस पर एसएचओ के आदेश पर कॉन्स्टेबल ने उनके सामने तो स्कूटी देने की बात कह दी, लेकिन बाद में स्कूटी को थाने से ही गायब करवा दिया। और स्कूटी उनके पास होने की बात कहते हुए पल्ला झाड़ने लगे।
पुलिस से निराश हो कर फहीम ने जब दिल्ली दर्पण से संपर्क किया, तो दिल्ली दर्पण का कैमरा फ़ौरन ही सुल्तानपुरी थाने पहुँच गया। दिल्ली दर्पण टीवी के कैमरे को देखते ही जो पुलिसवाले फहीम से बात तक नहीं कर रहे थे, वो बात करने आ गए और गायब हुई स्कूटी भी थाने में ही मिल गई।