पुनीत गुप्ता , दिल्ली दर्पण टीवी 21 अगस्त 2020
कराला।। नई दिल्ली।। बुधवार को ही एमसीडी के स्थायी समिति में निगम पार्षद अजय शर्मा ने एमसीडी के भ्रष्टाचार से जुडा एक सवाल पूछा, सवाल था। एमसीडी के अधिकारियो को 3-4 मंजिला मकान बनने के बाद ही क्यों पता चलता है की यह मकान का निर्माण अवैध है?
4 मंजिला मकान बनने के बाद लिया जाता है एक्शन
क्यों नहीं शुरुआत में ही इस पर एक्शन लिया जाता है? ज़ब एक गरीब व्यक्ति चार मंजिला मकान बना लेता है। तभी अधिकरियों को क्यों सपना आता है की उनके क्षेत्र में कोई अवैध निर्माण चल रहा है। यह एक भ्रष्टाचार का रूप है। जिसपर लगाम लगनी चाहिए। निगम पार्षद अजय शर्मा ने यह सवाल तब उठाया जब स्थायी समिति अध्यक्ष छैल बिहारी गोस्वामी भी मौजूद थे। अफसर भी मौजूद थे। लेकिन किसी ने भी कुछ जवाब नहीं दिया।
अजय शर्मा ने कहा की कोई भी अधिकारी अगर मकान बनने के बाद नोटिस लेकर मकान मालिक के पास जाता है। तो उस अधिकारी पर एक्शन जरूर होना चाहिए। कियुँकि यह भ्रस्टाचार का एक तरीका है। जिस व्यक्ति का मकान चार मंजिला बन चूका होगा। लाखो रुपया लग चूका होगा वो कभी भी उसको गिरता हुआ नहीं देख सकता। ऐसे में अधिकारी मुँह मांगी कीमत वसूल करते है।
अब ऐसा ही एक मामला नॉर्थ वेस्ट दिल्ली के रामा विहार में देखने को मिला जहा रातो रात एक 4 मंजिला मकान के चारो लेंटर गिरा दिए गए। सवाल फिर से वही है की अधिकारियो को जब क्यों नहीं दिखा जब पहली ईंट इस मकान की रखी गयी थी , जब पहला लैंटर यहाँ डला था।
अब जिनका यह आशियाना टुटा है वो तो कुछ कहने से डर रहे है। उनको अधिकारियो का इतना डर है की अब किसी को अपनी शिकायत तक नहीं पंहुचा रहे। लाखो रुपया मिनट में पानी हो गया । लोगो का सवाल यह भी है की जहा हमारा मकान बन रहा है उस गली में और भी बड़े बड़े मकान है। क्या वो अवैध नहीं है। सिर्फ मेरा ही मकान अवैध था ? और अगर अवैध है तो आप एक्शन लीजिये लेकिन शुरुआत में ही एक्शन क्यों नहीं लिया गया। जब मेरी ज़िंदगी की सारी पूंजी लग गयी तभी एक्शन क्यों लिया गया।
दिल्ली दर्पण टीवी ने स्थानीय निगम पार्षद जयेन्देर डबास से बात की। तो इन्होने इस घटना पर दुख जताया और कहा की इस मामले के खिलाफ एक्शन लिया जायेगा। उन्होंने कहा की ऐसे समय में जब एक दूसरे की मदद करनी चाहिए। उस वक्त किसी गरीब के साथ ऐसी घटना सुन कर दुःख होता है। हमने जेई की खिलाफ शिकायत की है और जल्दी ही समाधान भी निकाला जायेगा।
कोरोना काल में जहा एक दूसरे की मदद का सवाल है। वहा ऐसे एक्शन सोचने पर मजबूर करते है। हालांकि निगम पार्षद ने सख्त कदम उठाने की बात की हो लेकिन जिन सपनो को अधिकारी सिर्फ अपनी ईगो को संतुष्ट करने में लिए चूर कर देते है। वो शायद ही दोबारा आशियाना बनाने का सपना देख पाते होंगे।