अंशुल त्यागी, संवाददाता
दिल्ली की लाइफलाइन कहे जाने वाली दिल्ली मेट्रो में भीड़ बढ़नी लगी है, लेकिन ये भीड़ मास्क न पहनने वालों की है। दरअसल मेट्रो में रोज़ाना सफर करने वाले यात्रियों के अनुसार मेट्रो में मास्क की जांच करने वाली सीआरपीएफ और मेट्रो की टीमें तो उन्हें कम दिखती हैं लेकिन ऐसे लोग ज्यादा दिखते हैं जो मेट्रो में बैठते ही अपना मास्क उतार देते हैं और ताज़ी हवा लेने की कोशिश करते हैं या बात भूलते हुए कि उनकी इस हरकत से बाकी लोगों को कितना नुकसान होगा।
यू तो दिल्ली मेट्रो ने ट्विटर पर भी अपने नाम के आगे लिखा है ‘कृपया मास्क पहनें’ लेकिन असर के नाम पर कुछ नहीं दिखता, कुछ लोग तो जैसे अपने पिताजी की जागीर समझकर दिल्ली की मेट्रो में सफर करते हैं।
मेट्रो में बैठने से अब डर लगने लगा है, लग रहा था मेट्रो सेफ है लेकिन मेट्रो में सहूलियत तो दी जा रही है पर लोग अपनी मनमर्जी से चल रहे हैं और रोज़ाना सफर करते हुए कुछ ऐसे आदमी जरूर मिल जाते हैं जो बिना मास्क के होते हैं – मुकुल, यात्री
लोगों को अगर कह भी दें कि मास्क लगाइए तो लड़ने के लिए आतुर हो जाते हैं, यहां तक कहते हैं कि जाओ कह दो जिससे कहना है, कटवा दो चालान – राजेश, एडवोकेट और यात्री
समस्या तो गंभीर है, इलाज भी गंभीर है कि आखिर कैसे इतनी भीड़ को दिल्ली मेट्रो काबू कर पाएगी, कैसे आने वाले समय में मास्क न लगाने वालों की भीड़ को बरता जाएगा, कैसे मेट्रो कोरोना के इस काल में सुरक्षित हो पाएगी, ऐसे कई सवाल मेट्रो के अधिकारियों के दिल में भी कौंध रहे होंगे।
मेट्रो में मास्क उतारने वाले लोग तो गलत हैं ही लेकिन कई मेट्रो स्टेशन पर चैकिंग में भी ढ़िलाई बरती जा रही है, सुबह सुबह गन को सिर्फ दिखाते हैं समय देकर टैंपरेचर चैक नहीं करते, बैग सैनिटाइज के नाम पर हाथ के लिए दी गई सैनिटाइजर की बोतल से स्प्रे कर दी जाती है – अशुंल त्यागी