-दिल्ली दर्पण संवाददाता
नई दिल्ली। भैया दूज के दिन का हमारी संस्कृति में बहुत बड़ा महत्त्व है। इस दिन को यानी द्वितीया, भाई टीका या भाई दूज के रूप में भारत भर में भाइयों और बहनों के बीच महान शक्ति और प्यार के साथ मनाया जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए धर्म यात्रा महासंघ ने दिल्ली के यमुना के सुर घाट पर स्नान कर पूजा अचर्ना की। कोरोना संकट एक चलते बेशक यह आयोजन बहुत ही कम लोगों की मौजूदगी में हुआ हो लेकिन इस अवसर का बहुत बड़ा महत्त्व और मर्म है। इसी को समझने और बताने के मकसद से धर्म यात्रा महासंघ से जुड़े लोगों ने स्नान का आयोजन किया।
धर्मयात्रा महासंघ के महासचिव संजीव शर्मा ने इस दिन के महत्त्व के बारें में बताते हुए कहा कि इस दिन स्नान के माहात्म्य के बारे में कहा गया है कि हिंदू धर्म में मान्यता है कि यम द्वितीया एक हिंदू त्योहार जो कि भगवान यमराज यानी र्मत्यु के देवता को समर्पित है। यह कार्तिक मास की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना बहुत शुभ माना गया है। स्नान करने के बाद भक्त भगवान यमराज के प्रति सम्मान में प्रार्थनाओं और मंत्रों को पढकर पूजा करते हैं। भगवान को अर्ध्य देकर पूजा संपन्न होती है।
उत्तरी भारत में यह त्योहार भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। जब भगवान यम अपनी बहन यमुना के पास मिलने आए तब उन्होंने उनका माला और आरती के साथ स्वागत किया और उनके माथे पर तिलक लगाया। उनकी खुशी के लिए प्रार्थना की। उन्हें मिठाई पेश की।कथा के अनुसार इस के बाद एक भव्य भोज का आयोजन किया गया। यमराज इस तरह के आयोजन से बहुत खुश हुए और अपनी बहन को एक अनूठा उपहार देने के लिए उन्होंने यह घोषणा की कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के पास जाएंगे और उनकी बहन द्वारा तैयार आरती, तिलक और भोजन से उनका स्वागत किया जाएगा, वे सब बुरी ताकतों से बचेंगे और एक लंबे जीवन का आशीर्वाद पाएंगे। उस दिन से इस दिन को यम द्वितीया, भाई टीका या भाई दूज के रूप में भारत भर में भाइयों और बहनों के बीच महान शक्ति और प्यार के साथ मनाया जाता है।
धर्म यात्रा महासंघ के महामंत्री संजीव शर्मा ने कहा कि हमारे हर धार्मिक पर्व और परम्पराओं के पीछे एक विशेष उद्देश्य होता है। यही उद्देश्य मानव कल्याण का रास्ता प्रसस्त करते है। हमारे धर्म और धार्मिक तीर्थ स्थल ही तरक्की का मार्ग है। धर्म यात्रा महासंघ इस दिशा में तो काम कर ही रहा है साथ ही परम्पराओं और पर्व के मानाने के मर्म को भी मानव मात्र तक पहुंचने की मुहीम शुरू करने जा रहा है।