नेहा राठौर, संवाददाता
शकूरपुर:- उत्तर पश्चिम में स्थित पीतमपूरा के पास शकूरपुर बस्ती का नाम अभी हाल ही में बहुत बार पड़ने-सुनने में आया होगा। जब सरकार ने झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने का नोटिस भेजा था। हालांकि अभी इस काम को रोक दिया गया है। लोगों को इस परेशानी से राहत मिली है। लेकिन इससे शकूरपुर बस्ती के लोगों की परेशानियां काम नहीं हुई है।
इस एक समस्या के अलावा स्थानीय निवासियों को और भी कई परेशानियों का रोज सामना करना पड़ता है। हाँ की पतली -पतली गलियों में भरा हुआ नाली का गंदा का पानी और कूड़े के ढेर में रहने को मजबूर लोगों की हालत लोगों की बेबसी को दिखाती है। वहां के लोगों का कहना है, कि जैसे-तैसे करके वे अपना गुजारा कर पाते है। अपनी जरूरतों को मारकर अपने बच्चों की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करते है।
टूटी गलियों और घरों में रहते लोगों का कहना है कि जब चुनाव सर पर होते है तो जीत के लिए वोटों मांगने अलग -अलग पार्टियों के नेता आते है। चाय नाश्ता कर झूठे वादों का दिलाशा देकर चले जाते है। कहते है कि इस बस्ती को साफ करवाएंगे, यहाँ के हर एक परिवार को पक्का मकान बनाकर देंगे। किसी को कोई तकलीफ नहीं होगी। लेकिन वो वादे चुनाव तक ही सीमित रह जाते है और कोई कुछ नहीं करता।
वहां के निवासी नीरज कुमार का कहना है कि इलाके की निगम परिषद वंदना जेटली और शशि जेटली जब से यहां निगम परिषद बने है। तब से अब तक बस्ती में साफ सफाई का कोई काम नहीं हुआ है और न ही यहां विधवा और विकलांग के लिए किसी भी प्रकार की कोई सुविधा दी गयी है। गंदगी से परेशान लोगों ने कई बार शिकायत की पर कोई फायदा नहीं हुआ।