Friday, November 22, 2024
spot_img
Homeब्रेकिंग न्यूज़कौन सच्चा, कौन झूठा दो पाटों के बीच फंसी दिल्ली की बेवस...

कौन सच्चा, कौन झूठा दो पाटों के बीच फंसी दिल्ली की बेवस जनता

संवाददाता, दिल्ली दर्पण टीवी

नई दिल्ली।। आम आदमी पार्टी और भाजपा की आपसी सिर फुटव्वल में दिल्ली की जनता खुद को असहाय महसूस कर रही है। दोनों दल जनता के किसी मुददे को लेकर नही, लोगों की नजर में खुद को सच्चा साबित करने के लिए आए दिन नाटकबाजी करने नजर आ रहे हैं।दोनों दलों ने नेता एकदूसरे के खिलाफ तलवारें भांजते हुए दिखाई दे रहे हैं। आरोप.प्रत्यारोप और धरने, प्रदर्शन कर रहे है।दिल्ली नगर निगम के तीनों मेयर पिछले 10 दिन से मुख्यमंत्री हाउस के बाहर धरने पर बैठे हैं। वह दिल्ली सरकार ने निगम के बकाया 13 हजार करोड़ रूपए मांग रहे है।

भाजपा नेताओं का दावा है कि निगम का दिल्ली सरकार में यह पैसा निकल रहा है। लिहाजा यह राशि उसे दे जाए ताकि वह अपने कर्मचारियों को 5.6 माह का बकाया वेतन दे सकें। भाजपा नेताओं ने समूची दिल्ली में, 13 हजार करोड़ रूपए कब दोगे मुख्यमत्री जी, नारे लिखे बैनर, पोस्टर, पैम्फलेटस लगा रखे हैं। अगर भाजपा से पूछा जाए कि दिल्ली की दीवारों पर लिखकर पैसे मांगने का यह कौनसा तरीका है। इन प्रचार या दुष्प्रचार पर आपने लाखों रूपए खर्च कर दिए लेकिन निगम के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए आपके पास पैसे नहीं हैं और दिल्ली सरकार से मांगने के लिए प्रपंच किया जा रहा है।

आम आदमी पार्टी निगम पर आरोप लगा रही है कि उसने एमसीडी को कर्ज दे रखा हैं। वह कर्ज उसे अदा करें। इसके अलावा आप नेताओं का आरोप है कि एमसीडी में भाजपा द्वारा 2457 करोड़ रुपये का घपला किया गया है। इसके खिलाफ आप के विधायक आंदोलन कर रहे हैं।दिल्ली नगर निगम में हुए कथित घोटाले को लेकर दिल्ली सरकार ने कल 17 दिसंबर का विधानसभा का एक दिवसीय सत्र भी बुलाया है।इधर आम आदमी पार्टी दिल्ली पुलिस पर भी आरोप लगा रही है कि वह भाजपा की तरफदारी कर आप नेताओं को प्रताड़ित कर रही है। मुख्यमंत्री केजरीवाल को नजरबंद करने के आरोप लग रहे हैं। विधायक एलजी और केंद्रीय ग्रहमंत्री अमित शाह से मिलने जाना चाहते थे तो उन्हें गिरफतार कर लिया गया।

आम आदमी पार्टी द्वारा उसके नेताओं की आवाज दबाने की बातें कही जा रही हैं।इस तरह दोनों पार्टियां एक दूसरे के खिलाफ सड़कों पर उतरी हुई हैं। उधर इनके झगड़े के बीच दिल्ली की जनता का बुरा हाल हो रहा है। निगम की स्कूलों के शिक्षकों, निगम अस्पतालों के कर्मचारियों, सफाईकर्मियों के वेतन कई महीनों से बाकी चल रहे हैं। कोरोना महामारी के इस कठिन दौर में कर्मचारियों के परिवारों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। आम जनता गंदगी, महंगाई, बीमारियों के चलते त्रस्त हैं। कर्मचारी हड़ताल कर चुके हैं। उन्हें वेतन देने के झूठे आश्वासन दिए जाते हैं। पेंशनरों को पेंशन नहीं मिल पा रही है।

आपसी राजनीतिक लाभ के फेर में जनता को परेशान क्यों किया जाए।ऐसे विकट में राजनीतिक दल जनता के प्रति ईमानदारी से काम करते दिखाई देने चाहिए लेकिन हो रहा है उल्टा। आश्चर्य की बात यह है कि जिनकी जिम्मेदारी है वह मौन साधे बैठे हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल यहां के प्रशासक हैं। वह दोनों दलों के ड्रामे देख रहे हैं लेकिन उनकी ओर से पहल क्यों नहीं दिखाई नहीं दे रही। केंद्रीय ग्रह मंत्रालय भी खामोश है। वह दोनों ओर के नेताओं और अधिकारियों की बैठक बुलाकर कर्मचारियों के बकाया वेतन की राशि जारी कराएं और जनता की परेशानियों का तत्काल हल निकालें।

ReplyReply allForward
RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments