Friday, November 22, 2024
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पंजाब और गुजरात के बाद दिल्ली में भी खुले स्कूल

शिवानी मोरवाल, संवाददाता

दिल्ली।। दिल्ली सरकार ने 10वीं और 12वीं कक्षाओं के लिए स्कूल खोलने आदेश दिए है। स्कूल 18 जनवरी से खोलें जायेंगे। बोर्ड परीक्षाओं की तैयारीयों को लेकर ये फैसला लिया गया है। इसका एलान बुधवार 13 जनवरी को किया गया। अगर बात करे पिछले साल की तो कोरोना को देखते हुए मार्च में सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया था।

जिसके बाद से ही सभी बच्चे घर पर ही ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन साल 2021 ने दस्तक दी तो देश वासियों को कोरोना वैंक्सिन की खुशी मिली जिसके बाद से ही देश के सभी राज्यों ने स्कूलों को खोलने की अनुमति दी जाने लगी। सबसे पहले पंजाब फिर गुजरात और अब दिल्ली सरकार ने भी दसवीं और वाहरवी के बॉर्ड परीक्षाओं के लिए स्कूलों को खोलने की अनुमति दे दी है। हलांकि आपको बता दे की इससे पहले दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने बोला था। हमारी सरकार बोर्ड परीक्षाओं को देखते हुए विचार विमर्श कर ही रही है।

उस समय जब दिल्ली के शिक्षा मंत्री से सवाल किया गया की क्या दिल्ली में भी स्कूल खोले जायेंगा ? इस सवाल का जवाब देते हुए सिसोदिया ने बोला था की जब तक कोरोना वैंक्सिन नहीं आ जाती जब तक स्कूलों के हित में कोई फैसला नहीं लिया जायेगा। लेकिन इस फैसले पर छात्रों के अभिभावक और खुद छात्रों से उनकी राय पूछी गई तो अभिभावकों उनका साफ तौर पर यही कहना था की पूरे साल हमने अपने बच्चों को कोरोना से बचाकर घर में रखा है। अब हम स्कूल भेजकर अपने बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ नही कर सकते। अभिभावकों से जानकर तो यही लगा की अभी कोई भी माता-पिता अपने बच्चों के स्कूल भेजने के हित में नहीं है। लेकिन कुछ अभिभावक हमें ऐसे भी मिले जो सरकार के इस फैसले के समर्थंन में थे।  उनका कहना था की बच्चे घर पर पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पा रहे है । अगर  ऐसे में स्कूल को पढ़ाई के लिये खोला जाता है तो हम भेजने के लिए तैयार है।

इसी कड़ी में जब अभिभावकों के बाद दसवीं और बाहरवीं कक्षा के छात्रों से पूछा गया की स्कूल खुलने के बाद बॉर्ड परीक्षाओं की तैयारी के लिए क्या वे स्कूल जाना पंसद करेगें तो उनका यही कहना था की बॉर्ड परीक्षाएं तो हर साल होती पर अगर कोई बच्चा संक्रमित होता है। और उसी बच्चे की वजह से अगर किसी को भी कोई परेशानी होती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? और साथ अगर सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों के लिए कुछ करना है तो परीक्षाएं ऑनलाइन मॉड पर कराए । अभिभावक और बच्चों के विचार जानकर तो ऐसा ही लगा की इस कोरोना काल में कोई भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने के ख्याल में नही है और ना ही बच्चे स्कूल जाने को तैयार है।

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