काव्या बजाज, संवाददाता
नई दिल्ली। गायकी से देश ही नहीं दुनिया भर में पहचान बनाने वाले नरेंद्र चंचल का आज यानी 22 जनवरी को निधन हो गया। वे चार महीने से बीमार चल रहे थे। काफी समय से अस्वस्थ रहने के बाद उन्हें दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जिसके बाद आज दोपहर 12:15 पर उन्होंने अंतिम सांसे ली।
नरेंद्र चंचल का जन्म 16 अक्टूबर 1940 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। उनके माता पिता माँ दुर्गा को भक्त थे। जिसकी वजह से उनकी रुची भी धार्मिक भजनों में ज्यादा थी। उन्होंने काफी छोटी उम्र से ही भजन गाना आरंभ कर दिया था। हालांकि उन्हें फिल्मों में पहला मौका बॉबी फिल्म में मिला था। राजकपूर निर्मित फिल्म उनका एकमात्र गाना ‘बेशक मंदिर – मस्जिद तोड़ो’ ने उन्हें लोकप्रिय गायकों की श्रेणी में लाकर रख दिया। उसके बाद उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में गाने गए, लेकिन अवतार फिल्म में उनका गया भजन चलो बुलावा आया है के बाद उनकी पहचान भजन गायकों में होने लगी और वे दिल्ली में होने वाले जागरण में शामिल होने लगे।
भजन गायक नरेंद्र चंचल शुरुआत से ही काफी शरारती रहे है। जिसकी वजह से उनके स्कूल में उन्हें चंचल का नाम दिया गया था। जिसका अर्थ शरारती होता है। गायकी की दुनिया में आने के बाद उन्होंने अपने मौलिक नाम के साथ – साथ अपने इस नाम को भी जोड़ा जिसकी वजह से पूरे देश में उन्हें नरेंद्र चंचल के नाम से जाना जाता है।
नवरात्र हो या नया साल भजन चलते ही हर तरफ सिर्फ एक ही प्रसिद्ध आवाज़ गूंजती है और एक ही नाम नरेंद्र चंचल की चर्चा होती है। नरेंद्र चंचल के भजन ‘चलो बुलावा आया है’ ने रातों रात उन्हें देश में प्रसिद्ध कर दिया था। जिसके बाद उन्होंने ‘मिडनाइट सिंगर’ नाम की एक पुस्तक का विमोचन भी किया था। नरेंद्र चंचल आज जागरण गायकों के स्कूल बन चुके हैं। लोग उनकी आवाज और गाने की शैली को अपनाते हुए गर्व महसूस करते हैं। उनके गाने में जय माता दी की जयकारा जागरण में उपस्थित लोगों को वैष्णो देवी के दरवार में शामिल होने जैसा ऐहसास देता है।
देश में ऐसा शायद ही कभी हुआ होगा कि एक भजन गायक को सुनने के लिए देश भर से लोग आते थे। और उनकी एक झलक पाने के लिए लंबी कतारे लगी रहती थी। उनकी लोकप्रियता विदेशों में भी खूब है।