नेहा राठौड़, संवाददाता
नई दिल्ली। तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े किसानों के प्रदर्शन को 2 महीने से ज्यादा हो गया है। इस आंदोलन के कारण बंद कुंडली बॉर्डर के आसपास के ग्रामिणों का संयम अब टूट चुका है। इस आंदोलन को लेकर शुक्रवार दोपहर को गांव मनौली में 40 गांवों के 800 लोग महापंचायत में शामिल हुए।
इस पंचायत में बॉर्डर पर आवागमन के लिए रास्ता खोलने के लिए किसानों को 48 घंटों का समय दिया गया है। ग्रामीणों ने पंचायत में पारित प्रस्ताव की एक प्रति किसानों के मंच पर पहुंचा दी है। अगर रविवार दोपहर तक उन्होंने रास्ता नहीं दिया तो 40 गांवों के हजारों लोग मिलकर बॉर्डर पर बनाए गए टेंट और मंच को हटा देंगे। इससे ग्रामीणों और किसानों में टकराव की आशंका बढ़ गई है। इस मामले पर प्रशासन नजर रखे हुए है।
कृषि कानूनों के विरोध में 2 महीने से दिल्ली सीमा पर डटे किसानों की वजह से राजधानी की सीमा पर तब से 40 गांवों के लोगों की आवागमन ठप हो गया है। लोग कई बार आने जाने के लिए रास्ता देने की मांग कर चुके हैं। उसके बावजूद किसानों ने रास्ता नहीं खोला है। सीमा बंद होने की वजह से इन गांवों से दूध-सब्जी व अन्य उत्पादन बाजारों तक नहीं पहुंच पा रहा है।
ग्रामीणों ने परेशान होकर पंचायत बुलाई, जिसमें उन्होंने मांग की है कि सड़क की एक साईड खोल दी जाए और कॉलिनियों के गेट के सामने से ट्रोलियां हटा ली जाए। ग्रामीणों को जबरन आंदोलन में शामिल होने को मजबूर ना किया जाए। गांव वालों के मुताबिक, किसान आंदोलन के चलते श्रमिकों, ऑटो-टेंपो चालकों, बॉर्डर क्षेत्र में दुकानदारों और इस जगह फैक्ट्री चलाने वालों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। गांव की ज्यादातर दुकानों पर जरूरत का सामान नहीं मिल पा रहा है।